अब उत्सवी माहौल में तकलीफ देगा डीजे का शोर सावधान रहें, आपकी धडक़न को कहीं बंद न कर दे

अब देखना है : डीजीपी के आदेश का कितना असर पड़ेगा थाना प्रभारियों पर
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बच्चों और बुजुर्गों को इसे दूर रखना होगा
80 डेसीबल से ज्यादा न हो शोर डीजे का
भोपाल में एक बच्चे की मौत हो चुकी है
प्रशासन ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की
शोभायात्रा, सवारी में जाएं तो कान बंद कर लें
अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। जुलाई और अगस्त का महीना उत्सव से सराबोर रहेगा। धार्मिक यात्राएं निकलेंगे, कावड़ यात्री आएंगे, महाकाल की सवारी निकलेगी और भी आयोजन होंगे। पूरा शहर आस्था के सरोवर में डुबकी लगाएगा। सबसे ज्यादा तकलीफ देंगे डीजे वाले। इनका शोर आपको परेशान करेगा। आपके दिमाग में जिला प्रशासन के वे अधिकारी आएंगे जिन्हें इन पर रोक लगाना है। पिछले साल भी अधिकारियों ने दावा किया कि डीजे के शोर पर प्रतिबंध लगाएंगे। किसी के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई। एक डीजे वाले के डीजे जब्त हुए। वह भी इसलिए क्योंकि उसने जन्मदिन पार्टी में लगाया था और उस आयोजन में एक की हत्या हो गई थी। आरोपी पकड़े गए। डीजे वाला भी नपा था।
डॉक्टरों का कहना है सावधान रहें, डीजे का शोर आपके बच्चों और बुजुर्गों के लिए घातक हो सकता है। जान भी जा सकती है। जितना हो सके बचने की कोशिश करें। किसी समारोह की मस्ती में इतना मशगूल न हों कि जान पर बन आए। डीजे का शोर ८० डेसीबल से ज्यादा न हो।
कान झनझनाने लगते हैं डीजे के शोर से
डीजे का शोर सभी के लिए घातक है, लेकिन यह बच्चों और बुजुर्गों के लिए ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है। आप किसी जुलूस या समारोह में जा रहे हैं तो बच्चों को शोर से दूर रखें। कई बार देखा गया कि बच्चे शोर के बीच ही कान पकडऩे लगते हैं।
उनके कान झन्नाने लगते हैं। बुजुर्गों के दिल पर असर होता है तो धडक़न बढ़ जाती है। यही धडक़न आगे जाकर जानलेवा साबित होती है। तबीयत बिगडऩे पर यह पता नहीं चलता कि कारण क्या था। जबकि कारण डीजे का शोर था।
बच्चे ने जान गवां दी डीजे के शोर से
भोपाल में समर नामक 14 साल के बच्चे पर डीजे का जबरदस्त असर हुआ। वह जुलूस में शामिल था। डीजे पूरी आवाज में शोर मचा रहा था। समर को चक्कर आए और वह बेहोश हो गया। उसकी अंगुलियां नीली पड़ गई थीं। डॉक्टरों ने पूरे प्रयास किए लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका। इस घटना के बाद एक ही दिन में ९१ उन डीजे संचालकों के खिलाफ कार्रवार्ई की गई जिनकी आवाज ८० डेसीबल से ज्यादा पाई गई।
शोर से धडक़नें असीमित हो जाती हैं
डॉ. विजय गर्ग का कहना है कि डीजे के शोर से धडक़नें असीमित हो जाती हैं। शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने लगती है। इससे शरीर पर दुष्प्रभाव पड़ता है। जिन लोगों को दिल की बीमारी है वे तो डीजे से दूर ही रहें। उनकी सेहत के लिए यह शोर ठीक नहीं है। बच्चों को भी दूर रखना चाहिए। डीजे वालों को भी चाहिए कि वे आवाज कम रखें।
डीजीपी ने कहा, थाना प्रभारी बाहर निकलें
प्रदेश के पुलिस मुखिया (डीजीपी) कैलाश मकवाना ने कहा है कि थाना प्रभारी कानून-व्यवस्था के समय नजर नहीं आते। वे थानों से बाहर निकलें और शहर की व्यवस्था देखें। डीजीपी का स्पष्ट संदेश है कि थाना प्रभारी बाहर निकलेंगे तो उन्हें पता चलेगा कि उनके इलाके में क्या चल रहा है। डीजे भी उन्हीं के इलाके में बजते हैं और अब भी बजेंगे, यानी कार्रवाई उन्हें करना है। रोक इसलिए नहीं है, क्योंकि सरकार की तरफ से आदेश है कि निश्चित डेसीबल पर डीजे बजना चाहिए। यदि आदेश नहीं होता तो भोपाल में एक दिन में ९१ डीजे वालों के खिलाफ कार्रवाई नहंीं होती।