सौरभ और चेतन की करतूत से शहर में भी हलचल

बिल्डरों और नेताओं के गठजोड़ में शामिल हैं अफसर

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कई अधिकारियों ने तो बहुत पहले खरीद लिए थे कीमती प्लॉट

एकाएक बिल्डरों की होने लगी पौ-बारह, कटने लगी कॉलोनियां

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रियल स्टेट में इंदौर की बराबरी करने लगा शांत शहर

अक्षरविश्व न्यूज|उज्जैन। परिवहन विभाग का चमत्कारिक पूर्व आरक्षक सौरभ इन दिनों पूरे देश में उसी तरह मशहूर हो गया है जैसे एक समय हर्षद मेहता ने शोहरत बटोरी थी। उसकी एक चूक ने देश के कई लोगों को आयकर, ईडी और लोकायुक्त के निशाने पर ला दिया है। नाटकीय घटनाक्रम में भोपाल के मेंडोरी में एक कार से 54 किलो सोना और दस करोड़ रुपए जब्त होते हैं।

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सोना और नकदी नहीं, उस डायरी ने सभी को हैरत और हैरानी में डाल दिया जिसमें कई अफसरों, बिल्डरों के नाम अंकित हैं। सौरभ अभी पकड़ में नहीं आया है। वह दुबई भाग गया है। सौरभ ने जो आग लगाई है उसकी आंच उज्जैन में महसूस की जा रही है। भोपाल में कई बिल्डरों के गिरेबान पर पुलिस और ईडी ने हाथ रख दिया है। दिन जैसे-जैसे बढ़ते जा रहे हैं बेचैनी बढ़ती जा रही है। आम आदमी को सौरभ और उसके साथी चेतन गौड़ से कोई मतलब नहीं है, लेकिन बिल्डरों को पूरी चिंता है। उन अफसरों में हलचल है जो सौरभ की डायरी में हो सकते हैं।

प्रदेश में समय-समय पर कोई न कोई बड़ा मामला ऐसा आता है जिसमें छोटे कर्मचारी बड़ा काम करके सामने आते हैं। इंदौर नगर निगम में भी ऐसा ही मामला उजागर हुआ था। सफाई दरोगा करोड़ों का आसामी निकला। कई दिनों तक वह मीडिया की सुर्खी बना रहा। अब परिवहन विभाग का सौरभ सामने आया है। इसने तो प्रदेश ही नहीं देश के ही कई अफसरों और बिल्डरों गठजोड़ को रेखांकित करते हुए हलचल मचा दी है। साल भर में उसने सौ करोड़ रुपए का लेनदेन किया।

इसलिए अफसर भी हैं सांसत में

मालदार हवलदार का साथी चेतन भी सुर्खियां बटोर रहा है। इस पूरे मामले पर गौर करें तो आयकर को अब तक १५० करोड़ की बेनामी संपत्ति मिल चुकी है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि नीलबड़ और रातीबड़ में अफसरों और बिल्डरों द्वारा लगाए गए कालेधन का खुलासा हुआ है। यहीं से प्रदेश के उन अफसरों और बिल्डरों में खलबली मची जिन्होंने अपने जमाने में कहीं कोई रकम लगाई है। जानकारों का कहना है कि सिर्फ भोपाल ही नहीं अन्य शहरों में पूर्व कई अफसरों का पैसा लगा है जो इस डायरी के बाद से चिंता में हैं।

पैसों के खेल में उज्जैन पीछे नहीं

सौरभ वह दिमागदार हवलदार है जिसने इधर का पैसा उधर तो लगाया ही साथ अरेरा में चेतन के नाम से अविरल कंस्ट्रक्शन कंपनी भी बनाई। इसका उद्देश्य यही था कि जो पैसा नजर में नहीं लाना है वह यहां लगाना है। चर्चा है कि अफसरों की रकम इसी तरह यहां खपाई गई है। सौरभ को दबोचने के लिए राज्य से लेकर केंद्र तक की चार कंपनियां सक्रिय हैं। उसकी गिरफ्तारी के बाद बड़े खुलासे होने की संभावना है। भोपाल में इंदौर के बाद उज्जैन की भी चर्चा है। यहां कई लोग देखते-देखते लखपति से करोड़ और अरबपति हो गए। कैसे हो गए?

सीमेंट, रेती के भाव नहीं पता, बिल्डर हो गए

भोपाल में चर्चा है कि पिछले पंद्रह-बीस सालों में उज्जैन में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है। जिसे सीमेंट, रेती और ईंट के भाव तक नहीं पता वे बिल्डरों की सूची में शामिल हो गए। इन लोगों के पास इतना धन कैसे आया? यह जांच का विषय है। २००८ के बाद उज्जैन के चारों ओर कॉलोनियों की भरमार हो गई। दो-चार को छोड़ दें तो बाकी कैसे पनप गए? उनके पास कॉलोनियां काटने के लिए जमीन कैसे आई? कतिपय अधिकारियों की सरपरस्ती में जमीनों के सौदे हुए और कॉलोनियां खड़ी हो गईं। तथाकथित नेताओं के गठजोड़ को भी नकारा नहीं जा सकता।

उज्जैन में हैं प्लॉट अफसरों के

भोपाल के राजनीतिक गलियारों से यह चर्चा भी निकल कर आई है कि यहां कई अधिकारियों ने अपनी पोस्टिंग के दौरान कॉलोनाइजरों की कॉलोनियों के अलावा विकास प्राधिकरण और हाउसिंग बोर्ड की योजनाओं में बड़े प्लॉट ले रखे हैं। अपने सिपहसालारों को यह तर्क दिया गया है कि उज्जैन से मोह है। बाबा महाकाल की नगरी में बसने की तमन्ना है इसलिए प्लॉट खरीदे हैं। अब सौरभ की डायरी खुलेगी तब बहुत सी बातों का खुलासा होगा।

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