दो साल में भी पूरा नहीं हो सका काम, भक्त कर रहे अधूरे शिखर के दर्शन
खजाने में 12 करोड़ रुपए जमा, प्रोजेक्ट दौड़ रहा इधर से उधर
अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। विश्व प्रसिद्ध मंगलनाथ मंदिर के अधूरे शिखर का दर्शन कर भक्त निराश हो उठे हैं। सौ साल बाद पहली बार मंदिर के शिखर की ऊंचाई बढ़ाने का काम शुरू हुआ लेकिन दो साल से वह अधर में पड़ा हुआ है। मंदिर के खजाने में 12 करोड़ रुपए जमा है और मंदिर प्रबंध समिति भी अभी विकास कार्य के लिए राशि देने को तैयार लेकिन शिखर का काम पूरा नहीं हो पा रहा। योजना का प्रोजेक्ट इधर से उधर दौड़ रहा।
मंगल ग्रह से होने वाली पीड़ा के निवारण के लिए की जाने वाली भात पूजा के लिए देश दुनिया में प्रसिद्ध मंगलनाथ मंदिर का शिखर दो साल से सीमेंट के एक गुंबद के रूप में दिखाई दे रहा है। देशभर से आने वाले दर्शनार्थी मंदिर प्रबंधन और पुजारियों से पूछते हैं कि शिखर ऐसा क्यों दिखाई दे रहा है, तो वे निरुत्तर हो जाते हैं। इसका काम उज्जैन विकास प्राधिकरण को सौंपा गया है लेकिन फंड न मिल पाने के कारण प्राधिकरण काम नहीं कर पा रहा। दूसरी ओर मंदिर प्रशासन का कहना है कि मंदिर के कोष में 12 करोड़ रुपए जमा हैं और वह विकास कार्य के लिए आधी राशि देने को भी तैयार है, लेकिन शिखर का काम शुरू नहीं हो पा रहा।
आधी राशि देने को तैयार
मंदिर के शिखर का काम यूडीए द्वारा किया जाना है। वही इसकी योजना तैयार कर रहा है। मंदिर प्रबंध समिति के पास बैंकों में 12 करोड़ रुपए जमा हैं। योजना की आधी राशि देने को हम तैयार हैं।
एलएन गर्ग, एसडीएम एवं अध्यक्ष मंदिर प्रबंध समिति
मंदिरों के काम भी प्राथमिकता से हो
धर्मस्व विभाग भी पहुंचा मामला
मंदिर के विकास की योजना धार्मिक और धर्मस्व विभाग के पास भी पहुंची है। सूत्रों के अनुसार तय किया गया है कि धर्मस्व विभाग इसके लिए राशि देगा। तब तक मंदिर प्रबंध समिति के पास जमा राशि से इसका काम कराया जाए। यूडीए को इसका काम एजेंसी के रूप में करना है।
अभी शासन सडक़ों और पुलों के बड़े प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। वह जरूरी भी है लेकिन मंदिरों के काम भी सिंहस्थ की दृष्टि से समय पर किए जाना जरूरी है। मंगलनाथ मंदिर के शिखर का काम लंबे समय से अधूरा है। इसे जल्द पूरा किया जाना चाहिए।
-महंत राजेंद्रभारती, गादीपति एवं पूर्व विधायक