शिप्रा नदी के घाटों पर यात्री हो रहे चोरों के शिकार, सुरक्षा जवानों का नहीं ध्यान

By AV News 1

पुलिसकर्मी और एसडीआरएफ के जवान चौकी में बैठकर कर रहे ड्यूटी

अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन शिप्रा नदी के विभिन्न घाटों पर प्रतिदिन हजारों की संख्या में देश भर के श्रद्धालु स्नान करने आते हैं। घाट पर कपड़े रखने के बाद श्रद्धालु जब नदी में नहाने जाते हैं तभी बदमाशों द्वारा उनके कपड़े, बैग, पर्स, मोबाइल आदि सामान चोरी कर लिये जाते हैं। खास बात यह कि यात्रियों की सुरक्षा के लिये नदी के घाटों पर एसडीआरएफ और पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई गई है जो रामघाट चौकी में बैठकर अपनी ड्यूटी करते नजर आते हैं।

नदी में डूबने वालों को बचाने के लिये एसडीआरएफ के जवानों की ड्यूटी होमगार्ड अफसरों द्वारा अलग-अलग शिफ्टों में लगाई जा रही है। वहीं दूसरी ओर महाकाल थाने से एक हेडकांस्टेबल की ड्यूटी घाट पर भ्रमण करते हुए संदिग्धों पर नजर रखने व चोरी की वारदातों को रोकने के लिये लगाई जाती है। एसडीआरएफ के एक शिफ्ट में लगभग 8 जवान तैनात किये जा रहे हैं। इसके बावजूद घाटों पर यात्रियों का सामान चोरी होने की वारदातें रुकने का नाम नहीं ले रहीं।

मदद की जगह थाने का रास्ता बता रहे

सुबह दत्त अखाड़ा घाट, सुनहरी घाट, रामघाट क्षेत्र में तीन स्थानों पर यात्रियों के साथ चोरी की वारदातें हुईं। यात्री चोरी की शिकायत लेकर चौकी पर पहुंचे जहां पुलिसकर्मी मौजूद नहीं थे। एसडीआरएफ के जवानों ने उन्हें महाकाल थाने का रास्ता बता दिया। दूसरे शहर से आने वाले यात्रियों का कहना था कि एक तो हमारे साथ चोरी की वारदात हो गई, 9 हजार रुपये नगद व कपड़े चोर ले गये। पहनने के कपड़े भी नहीं बचे और पुलिसकर्मी व होमगार्ड जवान मदद करने की जगह थाने का रास्ता बता रहे हैं।

इसी प्रकार एक यात्री के बैग से अज्ञात व्यक्ति ने 50 हजार रुपये निकाल लिये। वह भी चौकी पर गया तो उसे थाने भेजा गया। उक्त व्यक्ति ने भी एक संदिग्ध पर शंका जाहिर की लेकिन उसके पास से रुपये नहीं मिले। उक्त व्यक्ति तलंगाना का रहने वाला बताया जा रहा है।

जवानों का काम सिर्फ डूबने वालों को बचाना है

एसडीआरएफ के जवानों का काम नदी में होने वाली दुर्घटनाओं से यात्रियों को सचेत करना, डूबने वालों को बचाना है। इसके लिये 24 घंटों में अलग-अलग शिफ्टों में जवानों की ड्यूटी लगाई जाती है। घाटों पर होने वाली चोरी या आपराधिक गतिविधियों को रोकना या चोरों को पकडऩा, मामले में एफआईआर दर्ज करने का काम पुलिस का है।

पूर्व में पुलिस अधीक्षक को रामघाट चौकी पर एक एएसआई, एक हेडकांस्टेबल व आरक्षक की ड्यूटी लगाने हेतु पत्र लिखा था। एसडीआरएफ के जवान आमजन की मदद तो कर सकते हैं लेकिन चोर को पकडऩे या जांच जैसे काम नहीं कर सकते। यदि उनके द्वारा इस प्रकार की गतिविधि की जाती है तो वह गलत है। उन्हें ड्यूटी समय में घाटों पर तैनात रहने का काम सौंपा गया है।
-संतोष जाट, कमांडेंट होमगार्ड

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