महाकाल मंदिर में अब दान के आभूषणों का फोटो अनिवार्य

नए साल से पहले तैयारी: मंदिर की आकृति में लगेंगे क्यूआर कोड
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अक्षरविश्व न्यूज:उज्जैन। महाकाल मंदिर में सेवा करने वाले कुछ कर्मचारी मेवा के लालच में इतने अंधे हो चुके हैं कि भक्तों की भावनाओं से भी खिलवाड़ कर रहे। भक्त सोने और चांदी के जो आभूषण दान दे जाते हैं, उसे भी बदल दिया जाता है। इसकी आशंका मिलते ही मंदिर प्रशासन ने अब दान में मिलने वाले आभूषण का फोटो अनिवार्य कर दिया है, ताकि गड़बड़ियों को रोका जा सके। नए साल 2025 में दान केवल ऑनलाइन ही किया जा सकेगा। इसके लिए मंदिर की आकृति में आकर्षक क्यूआर कोड लगाए जाएंगे। मंदिर प्रशासन ने फ्री ऑफ चार्ज (एफओसी) दर्शन बंद कर दिए हैं, जिससे आय में बढ़ोतरी हुई है।
महाकाल मंदिर में भक्तों द्वारा हर माह लाखों रुपए के आभूषण और छत्र आदि दान किए जाते हैं। मंदिर प्रशासन ने दान के आभूषणों और सामग्री में होने वाली गड़बड़ियों को रोकने के लिए भी कदम उठाया है। इसके तहत अब दान के हर आभूषण और सामग्री का फोटो उसी वक्त लिया जाएगा और सामग्री के साथ मंदिर के खजाने और रिकॉर्ड में दर्ज किया जाएगा। इससे कोई भी लालची कर्मचारी दान की सामग्री को बदल नहीं सकेगा।
सूत्रों के अनुसार महाकाल मंदिर के प्रभारी प्रशासक और एडीएम अनुकूल जैन ने भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं जो प्रस्ताव के रूप में कलेक्टर और मंदिर प्रबंध समिति अध्यक्ष नीरजकुमार सिंह सहित संभागायुक्त संजय गुप्ता के पास पहुंच गए हैं। मंदिर प्रशासन ने दर्शन के लिए जारी होने वाली एफओसी पर भी रोक लगा दी है। दो दिन में ही इसके परिणाम आय बढ़ने के रूप में दिखाई दे रहे हैं। पहले दिन 5 लाख और दूसरे दिन भी करीब चार लाख रुपए की आय हुई। नए साल से मंदिर में दान राशि केवल क्यूआर कोड के माध्यम से ही दी जा सकेगी।
दर्शन और पूजन अभिषेक के लिए भी यह सिस्टम अनिवार्य किया जाएगा। महाकाल मंदिर में दर्शन के आड़ में भ्रष्टाचार करने वाले कर्मचारियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। प्रशासन मंदिर में होने वाली गड़बड़ियों पर रोक लगाने के हर संभव प्रयास कर रहा। कलेक्टर नीरजकुमार सिंह लगातार मंदिर की व्यवस्थाओं पर नजर रखे हुए हैं और सुधार के प्रयास किए जा रहे।
खजाने में कितना सोना-चांदी, पता नहीं भौतिक सत्यापन ही नहीं हो सका
महाकाल मंदिर के खजाने में भक्तों द्वारा दिए जाने वाले सोने चांदी के आभूषणों सहित सामग्रियों का हिसाब मंदिर प्रबंध समिति के पास नहीं है। दान में आने वाली सामग्रियां कोठार में जमा की जाती है। महाकाल मंदिर प्रबंध समिति की बैठक में पांच माह पहले तत्कालीन कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम के समय कोठार में जमा सोने चांदी की सामग्रियों के भौतिक सत्यापन के लिए समिति बनाई गई थी।
इसमें महापौर मुकेश टटवाल, अशासकीय सदस्य पं. राजेंद्र गुरु को शामिल किया गया था। समिति की एक ही बैठक हो सकी। इसमें कोठार से जानकारी मांगी गई थी। उसके बाद समिति की बैठक ही नहीं हो सकी। सूत्रों के अनुसार कोठार में पुराना रिकॉर्ड मिलना मुश्किल हो सकता है, लेकिन समिति को इसका रिकॉर्ड तैयार करना चाहिए। मामले में महापौर मुकेश टटवाल ने स्वीकार किया कि समिति की एक ही बैठक हो सकी है।