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फ्री होल्ड कर बेचने का प्रस्ताव आपसी मतभेद में रुका

श्रीकृष्ण सुदामा मार्केट को लेकर भाजपा में अनबन क्यों?, सम्मलेन से पहले एनवक्त बनी रणनीति

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अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन। दूधतलाई साथ श्रीकृष्ण सुदामा मार्केट को फ्रीहोल्ड कर बेचने के प्रस्ताव पर भाजपा में एनवक्त पर मतभेद क्यों हो गया, इस सवाल का जवाब पार्टी में भी खोजा जा रहा है। शहर में भी इस मुद्दे को लेकर सवाल उठने लगे हैं कि सत्ता पक्ष भाजपा में ही अनबन क्यों बढ़ती जा रही है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष तक यह मामला पहुंचा है, क्योंकि उज्जैन नगर निगम के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ जब पार्टी के प्रस्ताव का विरोध पार्टी के ही पार्षदों ने मुखर होकर कर दिया, जिससे संगठन की किरकिरी हो रही है।

 

शुक्रवार को हुए नगर निगम सम्मेलन में पहली बार ऐसा हुआ जब दो प्रस्तावों को लेकर भाजपा में ही मतभेद खुलकर सामने आ गए। भाजपा के कई पार्षदों ने दोनों प्रस्तावों का विरोध कर दिया। चौंकाने वाली बात यह भी रही कि एक प्रस्ताव पास हो गया और दूसरा रोक दिया गया। पार्टी सूत्रों का कहना है कि यह मामला अभी और तूल पकड़ सकता है। आने वाले समय में निगम सम्मेलन में विरोध के ये स्वर और नई करवट ले सकते हैं। दरअसल, श्रीकृष्ण सुदामा कॉम्प्लेक्स को फ्रीहोल्ड पर बेचने को लेकर पार्टी में एक राय नहीं बन पाई है। इसको लेकर दो गुट बन गए हैं।

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एक गुट फ्रीहोल्ड कर बेचने की कोशिश में है जबकि दूसरा गुट चाहता है कि लीज पर ही इसे दिया जाए। इस आंतरिक टकराव के कारण कॉम्प्लेक्स बिक नहीं पा रहा है। शुक्रवार को नगर निगम के साधारण सम्मेलन में फ्रीहोल्ड पर बेचने का प्रस्ताव रखा गया लेकिन भाजपा पार्षद गब्बर भाटी, सुशील श्रीवास, हेमंत गेहलोत, दिलीप परमार आदि सहित विपक्ष के नेता रवि रॉय और कांग्रेस पार्षदों ने विरोध किया। इस कारण निगम अध्यक्ष कलावती यादव ने इसे बहुमत के आधार पर रोक दिया। अब यह मामला पार्टी वरिष्ठ नेताओं के हस्तक्षेप से ही सुलझ सकता है।

एमआईसी में होगा फेरबदल?

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इस घटनाक्रम के बाद यह चर्चा भी शुरू हो गई है कि एमआईसी में क्या बदलाव होगा? जिन पार्षदों ने विरोध किया, उन्हें एमआईसी में लेने की चर्चा है। सूत्रों के अनुसार सम्मेलन से ठीक पहले सुबह 11 बजे पार्षदों की एक गोपनीय बैठक हुई थी। इसके बाद ही भाजपा का मतभेद सामने आया।

मतदान क्यों नहीं कराया

विपक्ष के नेता और कांग्रेस पार्षद रवि राय का कहना है कि अटल उद्यान में शुल्क लगाने के प्रस्ताव का हमने विरोध किया था और मांग की थी कि इसके लिए मतदान करा लिया जाए। इसके बाद बहुमत के आधार पर ही निर्णय लिया गया।

सम्मेलन के बाद उठ रहे ये सवाल

मुद्दा : भाजपा पार्षदों ने यह आरोप लगाया कि पार्षद दल की मीटिंग में कॉम्प्लेक्स और अटल अनुभूति उद्यान में शुल्क पर चर्चा नहीं हुई।
सवाल : सदन में कुल आठ प्रस्ताव रखे थे। सभी पर चर्चा नहीं हुई तो केवल दो प्रस्तावों पर ये आरोप क्यों?

मुद्दा : फ्री होल्ड पर कॉम्प्लेक्स देने के पीछे अपने चहेते को लाभ पहुंचाना है। यह आरोप भी उठाया जा रहा।
सवाल : कॉम्प्लेक्स को लीज पर देने की भी कोशिश की गई थी और यह प्रस्ताव सभी को पहले भी भेजा था। तब सवाल क्यों नहीं?

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