जिज्ञासाओं का समाधान है शोध

By AV News

डॉ. अम्बेडकर पीठ द्वारा आयोजित शोध कार्यशाला में कुलपति प्रो. पाण्डेय ने कहा

अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन शोध पुन: खोज नहीं है अपितु गहन खोज है। जो नया अविष्कार कर उस विषय की ज्ञान परम्परा में नए अध्याय जोड़ती है। जहां तक वैज्ञानिक शोध का सवाल है तो वह सिर्फ पुराने का नवीनीकरण नहीं बल्कि वैज्ञानिक विधि से परीक्षण कर नए तथ्यों को प्राप्त करना है जो हमारी जिज्ञासाओं और सवालों का समाधान कर सके। जहां तक भारतीय ज्ञान पद्धति की बात है तो वह प्रारंभ से ही दिशा देने वाली रही है। शून्य, दशमलव, वैदिक गणित भारत ने विश्व को दिए हैं। प्राकृतिक कृषि, ऑर्गेनिक कृषि-विश्व को भारत ने दिए हैं। सिर्फ यही नहीं किसी विषय, किसी भी क्षेत्र में भारत की अवधारणा, सिद्धांत परिकल्पना है, जो सम्पूर्ण जगत ने अपनाई है, अपना रहा है।

यह विचार डॉ. अम्बेडकर पीठ द्वारा आयोजित क्राफ्टिंग मेथोडोलॉजी- स्ट्रेटेजी फॉर इफेक्टिव रिसर्च इम्पलीटेशन विषय पर पांच दिवसीय शोध कार्यशाला में कुलपति प्रो. अखिलेशकुमार पाण्डेय ने अध्यक्षीय उद्बोधन में व्यक्त किए। प्रो. पाण्डेय ने कहा कि शोध की प्राथमिक आवश्यकता अविष्कार और अभिनव प्रयोग है जो परिकल्पना पर आधारित है। परिकल्पना मतलब आइडिया जनरेटर करना, आसपास के पर्यावरण, परिस्थितियों को शोध दृष्टि से देखना। स्वागत भाषण देते हुए कार्यशाला के समन्वयक पीठ के आचार्य प्रो. सत्येन्द्र किशोर मिश्रा ने कहा कि शोध पी-एच.डी. या प्रोजेक्ट शुरू करने पर प्रारम्भ करने का विषय नहीं है बल्कि यह निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया है। शोध में वैज्ञानिक क्षमता का विकास आवश्यक।

विज्ञान से वैज्ञानिकता का क्रम है शोध। शोध में नवाचार ही मुख्य बिंदु है जो तर्क और तथ्य के अधिक पर ही जांची जाती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 विद्यार्थियों को शोध परक शिक्षा के लिए तैयार की गई जिससे रोजगार के सुनहरे अवसर है। कार्यशाला में कृषि विज्ञान, एम.बी.ए. वाणिज्य, राजनीति विज्ञान, फूड टेक्नोलॉजी, विदेशी भाषा विभाग, गणित, रसायन विज्ञान, इतिहास के विद्यार्थियों, शोधार्थियों ने प्रतिभागिता की। पांच दिवसीय शोध कार्यशाला में 11 तकनीकी सत्र होंगे। कार्यशाला का संयोजन, संचालन सह समन्वयक डॉ. निवेदिता वर्मा ने किया। उद्घाटन सत्र का आभार वाणिज्य की विद्यार्थी यूजीसी नेप-सारथी श्रेया शर्मा ने व्यक्त किया। कार्यशाला में मनोज शर्मा, अंकुर टिटवानिया का विशेष सहयोग रहा।

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