हर चुनाव में लहर पर सवार मालवा-निमाड़ में इस बार क्या..?,

वोटिंग के बाद परिणाम के अलग-अलग कयास

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फिर से सभी सीट जीत रहें है-भाजपा,

जनता ने हमें अवसर दिया है-कांग्रेस

अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:लोकसभा के चौथे चरण के पूर्ण होने के साथ ही मप्र में निर्वाचन का कार्य पूरा हो गया है। अब जीत-हार के अनुमान के बीच मतमदाताओं के मन में यही जिज्ञासा और सवाल कि हर चुनाव में लहर पर सवार रहने वाले मालवा-निमाड़ में इस बार क्या होने वाला है..? भाजपा इन सभी सीटों पर दोबारा जीत के लिए दम लगाया तो कांग्रेस ने भाजपा के इन गढ़ों में सेंध लगाने का का प्रयास किया है। भाजपा के नेता दावा कर रहे है कि पार्टी सभी सीट जीतने जा रही है। वही कांग्रेस नेताओं का कहना है जनता ने इस बार कांग्रेस को अवसर देने का मन बनाया है।खास बात यह कि मालवा-निमाड़ की कई सीटें कांग्रेस और भाजपा के दिग्गज नेताओं का गृह क्षेत्र भी है।

लोकसभा चुनाव में मालवा और निमाड़ की आठ सीटों पर मतदान संपन्न हो गया। इस चरण में दांव पर लगी सभी सीटों पर भाजपा का कब्जा है। भाजपा इन सभी सीटों पर दोबारा जीत के लिए दम लगा रही है, वहीं कांग्रेस भी भाजपा के इन गढ़ों में सेंध लगाने का दावा कर रही है। मालवा-निमाड़ की कई सीटें कांग्रेस और भाजपा के दिग्गज नेताओं का गृह क्षेत्र भी है। ऐसे में इन दिग्गजों की प्रतिष्ठा भी यहां दांव पर लगी है। पिछले कुछ चुनावों के परिणामों को देखें तो मालवा-निमाड़ अंचल हर बार लहर के साथ नजर आया है। जब कोई लहर नहीं रहती है तो यहां के परिणाम भी मिले-जुले रहते हैं।

वर्ष 1977 में जब आपातकाल के बाद चुनाव हुए तो यहां की आठ सीटों पर कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया था। इसके 1984 में जब इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी की लहर थी तो पूरी सीटें कांग्रेस के हाथ में चली गई थी। इसके बाद 1989 में जब राम मंदिर का मुद्दा चर्चा में आया था तो झाबुआ को छोड़कर शेष सात सीटें भाजपा ने जीत ली थी। इसके 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस की लहर में परिणाम जरूर थोड़े उलट रहे थे। तब भाजपा ने यहां पांच सीटों पर कब्जा जमाया था, कांग्रेस को मात्र तीन सीटें ही मिल पाई थी। इसके बाद 2014 और 19 में मोदी लहर में यहां की आठों सीटों पर भाजपा का कब्जा रहा है। इस बार मालवा-निमाड़ किस करवट बैठता है, ये चार जून को पता चलेगा।

मतदान उम्मीद से कम रहा

लोकसभा चुनाव 2024 के चार चरणों का मतदान हो चुका है। इन चारों चरणों में मतदान पिछले चुनाव की तुलना में कम हुआ है। चुनाव विश्लेषकों की मानें तो अब तक के मतदान से इतना तो साफ हो गया है कि इस बार कोई लहर नहीं है। अब तक किसी भी मुद्दे पर मतदाताओं के बीच ध्रुवीकरण नहीं हो पाया है। ऐसे में इस बार कोई लहर है या नहीं, यह चार जून को परिणाम आने के बाद ही स्पष्ट होगा।

दिग्गजों की प्रतिष्ठा भी दांव

मालवा-निमाड़ अंचल से इस बार कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है। प्रदेश के मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव की अपने गृह क्षेत्र और अंचल में मुख्यमंत्री बनने के बाद यह उनकी पहली परीक्षा थी। उन्होंने यहां से अपनी पार्टी को बड़ी जीत दर्ज कराने के लिए पूरी तकत लगा रखी थी। उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा और कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय भी मालवांचल से ही आते हैं, वे इस चुनाव में कड़ी मेहनत कर रहे हैं। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार की प्रतिष्ठा भी इन आठ सीटों से जुड़ी है।

विधानसभा चुनाव में मिली बड़ी पराजय,इसके बाद लगातार दलबदल और फिर इंदौर के ‘बम कांड’ की वजह से मानसिक तौर पर पूरी तरह से टूट चुकी कांग्रेस के इन नेताओं ने अपना पिछला रिकार्ड सुधारने की पूरी कोशिश की। पूर्व मंत्री अरुण यादव निमाड़ अंचल के बड़े नेता है। खंडवा और खरगोन उनकी प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।

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