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इफको में उज्जैन के ऋषिराज सिंह सिसौदिया डायरेक्टर निर्वाचित हुए

दिल्ली में हुए चुनाव में भाजपा समर्थित को 5 वोटों से हराया

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शैलेष व्यास उज्जैन। देश की सबसे बड़ी को-ऑपरेटिव संस्था इंडियन फार्मर्स फर्टीलाइजर को-ऑपरेटिव लिमिटेड (इफको) नई दिल्ली के डायरेक्टर पद पर उज्जैन के ऋषिराज सिंह सिसोदिया डायरेक्टर निर्वाचित हुए है। उन्होंने भाजपा समर्थित उम्मीदवार को 5 वोटों से हराया है। चुनाव में जीत हासिल करने के लिए भाजपा के कई नेताओं ने वोटर्स की बाड़ाबंदी की,लेकिन सफलता नहीं मिली। बता दें कि इफको में मप्र और छग से एकमात्र डायरेक्टर चुना जाता है। ऋषिराज कांग्रेस समर्थित उज्जैन के सिसौदिया परिवार के सदस्य है।

 

राष्ट्रीय स्तर की संस्था में कांग्रेस से जुड़े ऋषिराज सिंह सिसोदिया ने भाजपा के कौशल शर्मा को 5 वोटों से हराया। सिसोदिया को 17 और कौशल को 12 वोट मिले। पूर्व मंत्री गोविंद सिंह के बेटे व निवर्तमान डायरेक्टर अमित सिंह को 8 वोटों से संतोष करना पड़ा। डायरेक्टर का चुनाव जीतने वाले कांग्रेस के सिसोदिया उज्जैन से हैं। सूत्रों का कहना है कि कुछ प्रभावशाली लोग सभी वोटर्स को लेकर दिल्ली गए थे। मप्र-छग में कुल 41 वोटर हैं। चार (एक छग और तीन मप्र) लोकसभा चुनाव ड्यूटी की वजह से वोट डालने दिल्ली नहीं गए थे।

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सिसौदिया परिवार से नाता

इफको के नवनिर्वाचित डायरेक्टर ऋषिराजसिंह सिसौदिया सहकारिता क्षेत्र के पितृपुरुष स्व. सवाईसिंह सिसौदिया के नाती और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और बडऩगर के पूर्व विधायक सुरेन्द्रसिंह सिसौदिया के पुत्र है। ऋषिराज फिलहाल दिल्ली में और उनके एक-दो दिन में उज्जैन आने की संभावना है।

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इफको क्यों…? 25 लाख रुपए
बोनस के साथ देश-दुनिया की सैर

इफको को लेकर बड़े नेताओं के बीच सियासत को इस बात से समझा जा सकता कि हर साल की एनुअल जनरल बॉडी मीटिंग (एजीएम) में कम से कम 25 लाख रुपए बोनस के मिलते हैं। देश-दुनिया में कहीं भी जाने पर मुफ्त यात्रा व सुविधाएं हैं। हर माह होने वाली मीटिंग में आने-जाने के खर्च के साथ कम से कम एक लाख रुपए मिलता है। साल में 10 से 15 विदेश यात्राएं होती हैं। इफको में कुल 21 डायरेक्टर होते हैं। यानी हर प्रदेश से एक प्रतिनिधित्व रहता है। कौशल शर्मा ग्वालियर जिला केंद्रीय सहकारी बैंक के अध्यक्ष रह चुके हैं।

ऐसी थी तैयारी

छत्तीसगढ़ और मप्र के अलग-अलग जगहों से 28 वोटर्स को इंदौर बुलाकर फ्लाइट से दिल्ली भेजा गया। संगठन के निर्देश पर एक प्रदेश पदाधिकारी द्वारा वोटिंग से 10 दिन पहले 29 अप्रैल को कौशल शर्मा को पार्टी का अधिकृत प्रत्याशी घोषित करने का पत्र जारी किया था। वोटर्स को एमपी भवन में ठहराया गया और वोटिंग के दिन लाइन लगाकर वोट डलवाए गए थे।

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