मां चल बसी…. तो 6 बच्चों के लालन-पालन में जुटा थाना

By AV NEWS 1

मूक प्राणी के प्रति वर्दी वालों की संवेदनशीलता, मानवीयता

अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:पुलिस का नाम सुनकर या उन्हें देखकर सामान्य तौर पर आमजन के मन में अलग ही धारणा सामने आती है, लेकिन पुलिस के मानवीय पहलू पर बहुत कम लोग ही ध्यान दे पाते हैं। इंसानियत और मानवता के साथ इंसान तो दूर पशुओं से प्रेम का उदाहरण जीआरपी थाने में देखने को मिला जब थाना प्रभारी से लेकर स्टाफ के लोग अपनी जेब से रुपये खर्च कर श्वान के 6 नवजातों का पालन पोषण सिर्फ इसलिये कर रहे हैं कि उनकी मां तीन दिन पहले चल बसी थी।

जीआरपी थाना परिसर में पांच दिन पहले मादा श्वान ने 8 श्वानों को जन्म दिया था जिसके दो दिन के अंतराल में ही मादा श्वान और 2 शिशु श्वानों की मौत हो गई। लावारिस बचे 6 श्वान भूख और प्यास के साथ रात में ठंड से तड़पने लगे। थाने के स्टाफ और प्रभारी ने इनकी देखभाल का जिम्मा उठा लिया।

सफाईकर्मी कहीं से एक बॉक्स ढूंढकर लाया जिसमें ठंड से बचाने के लिये श्वान के 6 बच्चों को बॉक्स में कपड़े बिछाकर रखने की व्यवस्था बनाई गई। इसके साथ ही स्टाफ के लोग अपने खर्च पर दूध, बिस्किट्स, ब्रेड के पैकेट खरीदकर लाये और बच्चों की तरह श्वान के बच्चों की देखभाल शुरू की गई। तीन दिनों में स्थिति यह हो गई कि स्टाफ के लोग ड्यूटी पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने से पहले इन श्वान के बच्चों का हालचाल जानते हैं। सभी को इनकी चिंता भी लगी रहती है।

पुलिस वाहन में मेडिकल चैकअप कराया

श्वान के दो नवजात की मृत्यु के बाद स्टाफ के लोगों को शेष रहे 6 श्वानों के बच्चों की चिंता हुई तो पुलिस वाहन में उन्हें लेकर पशु चिकित्सालय पहुंचे। यहां डॉक्टरों से मेडिकल चेकअप कराया और उनके स्वास्थ्य की रिपोर्ट व देखभाल की जानकारी लेकर पुन: थाना परिसर में लाकर देखभाल शुरू की।

अपने हाथों से पिलाते दूध, खिलाते खाना

जीआरपी थाने के स्टाफ खासतौर से महिला कांस्टेबल सुबह दोपहर और शाम को इन नवजात श्वानों की देखभाल करने के साथ ही अपने हाथों से दूध पिलाने और खाना खिलाने का काम करती हैं। दूध व भोजन के लिये बर्तनों की व्यवस्था भी की गई है।

अपराध रोकना व सुरक्षा के साथ मानवता भी पुलिस का फर्ज

पुलिस की वर्दी पहन लेने के बाद अपराध रोकना और आमजन की सुरक्षा के साथ मानवता भी पुलिस का फर्ज होता है। जीआरपी स्टाफ ने चर्चा में बताया कि ड्यूटी के दौरान अनेक ऐसे अवसर आते हैं जब पुलिस को सख्त रूप दिखाना पड़ता है इसका अर्थ यह कभी नहीं होता कि पुलिसकर्मी क्रूर या असंवेदनशील होते हैं। समय आने पर पुलिसकर्मी इंसान तो ठीक पशुओं की देखभाल करने से भी पीछे नहीं हटते।

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