विवाह समारोह की रस्में पूरी होने के बाद देश की सरहद पर लौटा सैनिक

ससुराल से सरहद तक…
नरेंद्र सिंह अकेला उज्जैन। अभी शादी की कुछ रस्में और पूरी होना थी लेकिन इस सैनिक के लिए ससुराल और रस्म से ज्यादा महत्वपूर्ण देश है। उसने देशहित के लिए अपना फर्ज निभाते हुए सरहद के लिए कुछ किया। उसकी विदाई का दृश्य अविस्मरणीय हो गया। पत्नी की आंखों में खुशी के आंसू थे। उसे अपने पति पर गर्व हो रहा था कि वह दुश्मन के नापाक इरादों को ध्वस्त करने के लिए उससे दूर जा रहा है। परिवार के सभी सदस्य उसे खुशी-खुशी विदाई दे रहे थे।
विवाह समारोह का यह दृश्य था इंदिरा नगर निवासी रघुनंदन शर्मा के आंगन में। उनकी बेटी मेघा का विवाह देवास के हर्ष तिवारी से हुआ। वरमाला की रस्म पूरी होने के बाद सात फेरे होने लगे। इसके अगले दिन सनातन परंपरा के अनुसार विवाह की और भी रस्में होती हैं लेकिन इन रस्मों से ज्यादा हर्ष के लिए महत्वपूर्ण है अपना वतन। वह माता-पिता, सास-ससुर और परिजन का आशीर्वाद लेकर सरहद के लिए रवाना हो गया। अक्षरविश्व ने हर्ष से बात करने की। उनका कहना था कि हम लोग मर्यादा में बंधे हुए हैं। यह क्या कम है कि हमें देश की सेवा करने का मौका मिला है।
इस पल को भूल नहीं सकते
रघुनंदन शर्मा ने कहा कि मैं अपने जीवन में इस पल को कभी भूल नहीं सकता। कई विवाह समारोह देखे हैं। मेरे परिवार के लिए इससे बढक़र खुशी और क्या हो होगी कि हमें इस देश का सैनिक मिला है। हमने दामाद को हंसते-हंसते विदा किया है। आशीर्वाद दिया है कि वह अपने मकसद में कामयाब हों।
हमने दीदी को रोने नहीं दिया
मेघा के भाई दर्शन शर्मा ने कहा कि विदाई समारोह में लड़कियां रोने लगती है। हमने बहन से कहा, तुम्हारे लिए इससे बढक़र क्या बात होगी कि तुम एक फौजी की पत्नी बनी हों। फौजी को कभी भी रोते हुए विदा नहीं किया जाता। विवाह की जो रस्में बची हैं वह बाद में पूरी हो जाएंगी। अभी देश जरूरी है।
तन उनका यहां था लेकिन मन…
मेघा के भाई अभिषेक शर्मा ने कहा कि बहन की शादी धूमधाम से की। शादी में जितने भी लोग आए थे सभी ने हर्ष को शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने बताया कि शादी में दूल्हे का मन विवाह समारोह में लगता है लेकिन हमने महसूस किया कि उनका तन तो यहां था लेकिन मन सरहद पर था।