सोमवती अमावस्या कल, पौष महीना होने से नदी में स्नान और दान-पुण्य का विशेष महत्व
अक्षरविश्व न्यूज|उज्जैन। 30 दिसंबर को सोमवती अमावस्या है। इस दिन वृद्धि योग का निर्माण होगा जो प्रात:काल से लेकर रात 8.32 बजे तक रहेगा। इस दौरान मूल नक्षत्र भी बनेगा। भगवान विष्णु की पूजा एवं पितरों के निमित्त तर्पण एवं दान-पुण्य के लिए यह अमावस्या खास मानी जाती है। इस दिन सोमवार होने से भगवान शिव की उपासना का विशेष अवसर मिलेगा।
दरअसल, पौष मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को सोमवती अमावस्या का संयोग बन रहा है। सनातन धर्म में इसका विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही यह दिन पितरों की तृप्ति के लिए श्राद्ध और तर्पण करने के लिए भी उपयुक्त है।
इससे पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है जिससे सभी गृह दोष समाप्त होते हैं। ज्योतिषाचार्य पं. अजय कृष्ण शंकर व्यास के अनुसार सोमवती अमावस्या एक सनातन वैदिक हिंदू त्योहार है जो हर महीने की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है लेकिन जब यह सोमवार का दिन पड़ता है तो इसका महत्व और बढ़ जाता है। यहां रणजीत हनुमान मार्ग पर सोमतीर्थ स्थल है जिसकी मान्यता शिप्रा तीर्थ के नाम से प्रसिद्ध है।
सोमवती अमावस्या का महत्व
1. पितृदोष निवारण- सोमवती अमावस्या के दिन पितृदोष निवारण के लिए विशेष पूजा और तर्पण किया जाता है।
2. पापों का नाश- इस दिन किए गए पूजा और दान से पापों का नाश होता है और आत्मा को शुद्धि मिलती है।
3. मोक्ष प्राप्ति- सोमवती अमावस्या के दिन किए गए धार्मिक कार्यों से मोक्ष प्राप्ति की प्राप्ति होती है।
4. सुख-समृद्धि- इस दिन किए गए पूजा और दान से सुख-समृद्धि और धन-धान्य की प्राप्ति होती है।
5. पारिवारिक सुख- सोमवती अमावस्या पर पूजा और दान से पारिवारिक सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
इन कार्यों का विशेष महत्व
पितृदोष निवारण के लिए तर्पण और पूजा
पवित्र नदियों में स्नान और पूजन
दान और पुण्य कार्य
व्रत
पूजन एवं हवन
उपासना का विशेष महत्व
पौष मास में भगवान शिव की पूजा करने का विशेष महत्व है क्योंकि यह मास भगवान शिव की शक्ति और प्रभाव को बढ़ावा देता है। भगवान शिव की पूजा करने से जीवन में शांति, सुख और समृद्धि प्राप्त होती है। इसी तरह भगवान सूर्य की आराधना से भी जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता मिलती है।
सूर्य की शक्ति का प्रतीक
सूर्य की शक्ति को जीवन, ऊर्जा का स्रोत और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। पौष मास में सूर्य की शक्ति को बढ़ावा देने के लिए विशेष पूजा और अनुष्ठान किए जाते हैं। इसके अलावा सूर्य के मंत्रों का जाप करने का भी विशेष महत्व है। इससे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और सूर्य की शक्ति का प्रभाव बढ़ता है।