गर्भगृह में अब कौन जाए यह स्थानीय प्रशासन तय करेगा, श्रद्धालु सहयोग करें

इंदौर हाईकोर्ट के निर्देश के बाद मंदिर प्रशासन ने स्पष्ट की स्थिति
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उज्जैन। लंबे समय से गर्भगृह में प्रवेश की पात्रता को लेकर कठघरे में खड़े होने वाले श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के जिम्मेदार इंदौर हाईकोर्ट के फैसले के बाद अब राहत महसूस कर रहे हैं। समिति का कहना है कि अब श्री महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश को लेकर निर्णय स्थानीय प्रशासन के विवेक पर ही निर्भर रहेगा। श्रद्धालुगण इसमें सहयोग करें।
सोमवार को मंदिर समिति ने प्रेसनोट जारी कर स्थिति स्पष्ट की। इसके मुताबिक हाईकोर्ट ने गर्भगृह में प्रवेश के लिए स्थानीय प्रशासन को अधिकृत किया है। यह प्रशासन का विवेकाधिकार है कि वह किसे गर्भगृह में प्रवेश दे और किसे नहीं। चूंकि प्रवेशधारियों की कोई स्थायी सूची या परिभाषा मौजूद नहीं है, ऐसे में न्यायालय के आदेश के क्रम में गर्भगृह में प्रवेश का विषय स्थानीय प्रशासन के विवेक पर निर्भर करेगा। श्रद्धालुगण से अपेक्षा है कि वह भ्रमित न हों एवं प्रशासनिक व्यवस्था में सहयोग करें।
वीआईपी कौन कलेक्टर तय करेंगे
कोर्ट के मुताबिक कलेक्टर यह तय करने के लिए सक्षम प्राधिकारी हैं कि विशेष दिन या विशेष परिस्थिति में किसे वीआईपी माना जाए और उसे गर्भगृह में जल अर्पण की अनुमति दी जाए यानी गर्भगृह में प्रवेश देने या नहीं देने का अधिकार पूरी तरह कलेक्टर के पास है।
असर : दर्शन व्यवस्था और बिगड़ेगी
अब कलेक्टर जिसे चाहें उसे गर्भगृह में प्रवेश करवा सकेंगे। ऐसे में प्रवेश व्यवस्था नियम कायदों के परे सिर्फ एक अधिकारी की मर्जी पर आश्रित हो सकती है। अधीनस्थ इसका दुरुपयोग भी कर सकते हैं। वे अपनी मर्जी से गर्भगृह में प्रवेश कराएंगे और इसे ऊपर का निर्देश बताएंगे। आम दर्शनार्थी की परेशानी इससे बढ़ सकती है क्योंकि गर्भगृह में ज्यादा लोगों के प्रवेश की स्थिति में २०० फीट दूर खड़े आम दर्शनार्थी को बमुश्किल भगवान महाकाल की झलक मिल सकेगी।
वीआईपी के कारण अकसर विवादों में घिरा मंदिर
दरअसल, वीआईपी के बारे में स्पष्ट नियम नहीं होने से मंदिर की व्यवस्था विवादित होती रही है। देश के बड़े मंदिरों में वीआईपी की परिभाषा और प्रोटोकॉल तय है। उसी अनुसार वहां दर्शन भी होते हैं लेकिन श्री महाकालेश्वर मंदिर में ऐसा नहीं है। यहां वीआईपी प्रोटोकॉल हैसियत से तय होता है। रूतबेधारी गर्भगृह तक चले जाते हैं और आम दर्शनार्थी कतार में घंटों खड़े रहते हैं।
15 जुलाई 1996 को वीआईपी की मौजूदगी के कारण ही महाकाल मंदिर में भगदड़ हो गई थी और 35 जानें चली गई थीं। 24 मार्च 2024 को गर्भगृह में अग्निकांड हो गया था और 14 लोग झुलसे थे जिसमें से महाकाल सेवक सत्यनारायण सोनी की मौत हो गई थी। इन हादसों के केेंद्र और कारण वीआईपी रहे हैं। ऐसी ही स्थिति गर्भगृह में जबरन प्रवेश को लेकर बनती है। कोर्ट आदेश के बाद अब देखते हैं कि हालात क्या बनते हैं।










