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नगर निगम ने वहीं पर लगवा दिए ठेले, गुमटी और पाउच गुटखे के स्टॉल

लोगों के मकान तोड़कर बेघर किया और करोड़ों की लागत से बनाई सड़क

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अक्षरविश्व न्यूज:उज्जैन। प्रशासन द्वारा एक ओर शहरवासियों की सुविधा, नगर के सौंदर्यीकरण, महाकाल लोक, महाकाल वन जैसे ड्रीम्स प्रोजेक्ट्स पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर नगर निगम के कुछ अफसर बाजार वसूली के नाम पर उन्हीं करोड़ों रुपए से बनी सड़कों पर ठेले, गुमटी, स्टॉल और पउच गुटखे की दुकानें लगवा रहे हैं। खास बात यह कि बड़ा गणेश मंदिर की गली से कहारवाड़ी हरसिद्धि की पाल तरफ जाने वाली सड़क चौड़ीकरण के नाम पर दो दर्जन से अधिक लोगों को बेघर किया गया था अब उसी स्थान पर उक्त दुकानें नगर निगम द्वारा लगवा दी गई हैं।

 

महाकाल लोक पार्ट-2 के लिए हुआ था चौड़ीकरण

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स्मार्ट सिटी द्वारा महाकाल लोक निर्माण के बाद छोटा रूद्रसागर बड़ा गणेश मंदिर क्षेत्र में महाकाल लोक पार्ट-2 का निर्माण शुरू किया गया। यहां छोटे रूद्रसागर की सफाई, आसपास रेम्प, बगीचा, ध्यान स्थल आदि बनाए गए। उक्त निर्माण के लिए बड़ा गणेश मंदिर के पीछे वर्षों से निवास करने वाले लोगों को बेघर कर उनके मकानों को तोड़ा गया।

बड़ा गणेश मंदिर के पास संचालित होने वाले अन्नक्षेत्र को प्रशासन ने अपने कब्जे में लिया और ताबड़तोड़ निर्माण कार्य करने के बाद तत्कालिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से उद्घाटन भी कराया गया। उस दौरान अफसरों का तर्क था कि महाकाल लोक पार्ट-1 का भ्रमण, भगवान महाकालेश्वर के दर्शनों के बाद निर्गम द्वार से लोग बड़ा गणेश मंदिर के दर्शन करते हुए चौड़ी की गई गली के रास्ते छोटा रूद्रसागर महाकाल लोक पार्ट-2 में प्रवेश करेंगे।

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अब यह है गली की स्थिति

बड़ा गणेश मंदिर के पास से कहारवाड़ी हरसिद्धि की पाल वाले मार्ग के मकानों को तोडऩे के बाद करोड़ों रुपए खर्च कर चौड़ीकरण कराया गया। इस मार्ग पर सौंदर्यीकरण के लिए गुलाबी पत्थर लगाए गए। इसी गली से ध्यान केंद्र और उद्यान में जाने का रास्ता भी बनाया गया लेकिन वर्तमान में इस गली में ठेले, गुमटी, स्टॉल और पाउच गुटखे के साथ फूल-प्रसादी की दुकानें लग चुकी हैं।

स्थिति यह है कि गली के मुहाने पर दुकान संचालकों के कर्मचारी खड़े होते हैं जो ग्राहकों की तलाश में आवाजें लगाते हैं, उन्हें गली में प्रवेश तक नहीं करने देते। लोगों का इस गली में पैदल चलना भी मुश्किल हो गया है। खास बात यह कि सावन माह में जहां प्रतिदिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु महाकालेश्वर व उज्जैन दर्शन के लिए आए और उन्हें आवागमन के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ा उस दौरान भी नगर निगम ने बीच सड़क पर फैले अतिक्रमण को हटाने की कार्रवाई नहीं की।

पर्ची कटवाते हैं, कोई हटा नहीं सकता

वर्तमान में महाकालेश्वर मंदिर के आसपास और रामघाट क्षेत्र में सड़कों पर अतिक्रमण कर लोगों के पैदल चलने के लिये बनाए गए फुटपाथ की स्थिति यह है कि जिनकी स्थायी दुकानें हैं उन्होंने फुटपाथ पर अपना सामान सजा लिया है और जिनकी स्थायी दुकानें नहीं हैं वह लोग फुटपाथ पर अपनी दुकानें, गुमटी लगाकर व्यवसाय कर रहे हैं, परिणाम यह कि पैदल चलने के लिए लोगों के पास फुटपाथ तक नहीं है, इसके उलट अतिक्रमण करने वाले दुकानदार कहते हैं कि हम नगर निगम को दुकानें लगाने का शुल्क देते हैं, हमारे पास नगर निगम की पर्ची है हमें यहां से कोई हटा नहीं सकता।

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