पानी में ऑक्सीजन बढ़ाने के लिये लगाये फव्वारे भी बंद पड़े
अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:शिप्रा नदी का पानी इतना दूषित हो चुका है कि पानी में रहने वाले जलीय जीव उसमें दम तोड़ रहे हैं। प्रतिदिन यहां स्नान कर पुण्य लाभ कमाने आने वाले श्रद्धालु घाटों पर पानी में तैर रही मृत मछलियों को देखकर आहत हैं और पीएचई व नगर निगम ने दूषित पानी को आगे बहाने, साफ पानी स्टोर करने की बजाये लाखों रुपये खर्च कर फव्वारे लगाये हैं जो वर्तमान में बंद पड़े हैं। नृसिंह घाट हो या रामघाट, सुनहरी घाट से छोटे पुल तक नदी के पानी में मरी हुई मछलियां तैर रही हैं।
इसी पानी में श्रद्धालु स्नान के बाद लौटे में पानी लेकर भगवान का पूजन अभिषेक भी कर रहे हैं। दूसरे शहरों से आने वाले श्रद्धालुओं को नदी में स्टोर दूषित पानी की जानकारी नहीं। वह तो श्रद्धा और आस्था के चलते नदी में डुबकियां लगा रहे हैं, लेकिन पानी में तैरती मृत मछलियों को देखकर उनकी भावनाएं भी आहत हो रही हैं।
राजगढ़ से पितृकर्म कराने आये महेश परमार ने मृत मछलियों को देखकर पूछा कि आखिर मछलियां क्यों मर रही हैं, क्या किसी ने पानी में जहर घोल दिया है, उसे लोगों ने जानकारी दी कि शिप्रा नदी में नाले-नालियों और कान्ह का दूषित पानी मिल रहा है। पानी में ऑक्सीजन की कमी होने के कारण मृछलियां मर रही हैं।
सिर्फ अतिथियों को दिखाने के लिये चलाये थे फव्वारे
नगर निगम और पीएचई के अफसर किस प्रकार काम करते हैं इसका उदाहरण शिप्रा नदी में लगे लाखों रुपये कीमत के फव्वारों से पता चलता है। नव संवत पर शिप्रा नदी की रपट पर मंच बनाकर आयोजित किये गये कार्यक्रम से एक दिन पहले अफसरों ने नदी में फव्वारे लगाये थे ताकि कार्यक्रम में आने वाले अतिथि इन्हें देखकर तारीफ करें। हालांकि अफसरों ने उस समय तर्क दिया था कि फव्वारे चलाने से नदी के पानी में ऑक्सीजन लेवल बढ़ेगा। वर्तमान में सच्चाई यह है कि फव्वारे बंद पड़े हैं। यहां के लोगों ने बताया कि एक दो दिन में शाम के समय ही फव्वारे चलाये जाते हैं।