कालभैरव मंदिर में भीड़ इतनी कि 50 करोड़ का प्रोजेक्ट रुका

By AV NEWS 1

दो महीने से दानपेटियां तक नहीं खोल सका मंदिर प्रशासन

अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। उज्जैन के प्रसिद्ध कालभैरव मंदिर के विकास के लिए स्मार्ट सिटी योजना के तहत तैयार किया गया 50 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट अभी धरातल पर उतर नहीं सका है। वजह यह कि इस बार श्रावण मास में भक्तों की भीड़ इतनी आई कि प्रोजेक्ट का काम शुरू नहीं किया जा सका।

भक्तों की भीड़ के कारण पिछले दो माह से मंदिर की दानपेटियां भी नहीं खोल सका है। कालभैरव मंदिर ऐसा दुर्लभ मंदिर है, जहां भक्त उन्हें मदिरा का भोग अर्पित करते हैं। कालभैरव को भगवान महाकाल का सेनापति माना जाता है। पिछले कुछ समय से भक्तों में दर्शन का क्रेज बढ़ गया है। सावन में इस बार भक्तों की भीड़ इतनी उमड़ी कि तीन से चार घंटे तक भी उन्हें कतार में लगना पड़ा। भक्तों ने मंदिर की दानपेटियों में खूब चढ़ावा भी चढ़ाया, लेकिन अधिकारियों के अनुसार भीड़ के कारण पेटियां खोल नहीं सके। मंदिर में कुल नौ दानपेटियां हैं। इनको खोलकर दान राशि गिनने में काफी समय लगेगा। तहसीलदार की निगरानी में गिनती की जा सकेगी।

महाकाल मंदिर की तर्ज पर कालभैरव मंदिर के विकास के लिए स्मार्ट सिटीज ने 50 करोड़ रुपए की योजना तैयार की है। इस राशि से मंदिर का विकास महाकाल मंदिर की तर्ज पर किया जाएगा। परिसर में फूड प्लाजा होगा।

वाहन पार्किंग, बैरिकेडिंग सहित अन्य व्यवस्थाएं की जाएंगी

शिप्रा नदी पर बने घाट का रिनोवेशन कर मंदिर दर्शन के लिए रूट डायवर्सन किया जाएगा। मंदिर आने-जाने वाले श्रद्धालु और वाहन चालक अभी एक ही सड़क से होकर आजे-जाते हैं। मंदिर के पास से डायवर्ट कर बायपास से जोड़ा जाएगा। ताकि, आम वाहन चालक वहां से जा सकें। वाहन पार्किंग, बैरिकेडिंग सहित अन्य व्यवस्थाएं की जाएंगी। स्टील की रैलिंग लगाई जाएगी और प्रोटोकाल गेट अलग बनाया जाएगा ताकि, श्रद्धालु आसानी से दर्शन कर सकें। मंदिर के सामने दर्शनार्थियों के लिए डोम भी बनाया जाएगा, लेकिन भक्तों की भीड़ के कारण यह प्रोजेक्ट भी अभी शुरू नहीं हो सका है।

14 को सवारी बाद प्रोजेक्ट पकड़ेगा रफ्तार

कालभैरव भगवान की सवारी 14 सितंबर को निकलेगी। मंदिर प्रशासन इसकी तैयारी में भी जुट गया है। कालभैरव भगवान हर साल डोल ग्यारस पर भ्रमण पर निकलते हैं। कलेक्टर द्वारा शासकीय पूजा के बाद सवारी आरंभ होती है जो सिद्धनाथ मंदिर पहुंचती है। सवारी के बाद मंदिर विकास का प्रोजेक्ट आगे बढ़ सकता है।

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