ये आदतें हर उम्र में रखेंगी दुरुस्त

अकेलेपन का आनंद लें
बढ़ती उम्र के साथ अकसर लोग खुद को दूसरों से कटा हुआ महसूस करते हैं। कई बार उनके अपने, चाहकर भी उनके लिए पर्याप्त समय नहीं निकाल पाते। हमें अकेलेपन और एकांत का अंतर समझने की जरूरत है। अकेलापन जहां हमें डराता है, वहीं एकांत शांति और सुकून देता है। खुद से अच्छी बातें करें। बीती अच्छी बातें याद करें। खाली समय में अपनी पसंद के काम करें।
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दिमागी कसरत करते रहें
दिमाग के लिए आराम जरूरी है। पर, आराम ही करते रहना सुस्ती और थकान बढ़ाता है। हम जरूरी कामों की भी अनदेखी करने लगते हैं। जब भी मौका मिले नई-नई चीजें सीखने का प्रयास करें। गणित के सवाल हल करें, पहेली, शतरंज और नई-नई भाषा सीखने की कोशिश करें। नई पीढ़ी की जो बातें समझ नहीं आती हैं, उन्हें समझने में समय लगाएं।
जो अच्छा लगे वही करें
अपनी पसंद का काम करते समय किसी तरह का अपराधबोध मन में न रखें। अपना ध्यान रखना खुदगर्जी नहीं है। कहते हैं कि उम्र बढ़ती है, तो बचपना भी बढऩे लगता है। लिहाजा, बच्चा बनने में संकोच न करें। बच्चे वही करते हैं, जो उन्हें पसंद होता है। उसी तरह कभी-कभी आप भी वही करें, जो आपका मन करे। दूसरों की नजर में अच्छा बनने के लिए ऐसी बातें न सहें, जो आपको पसंद नहीं है या गलत लगती हैं।
हमेशा घर में न रहें
उम्र बढऩे के साथ अकसर लोग बाहर निकलने से बचने लगते हैं। पूरा दिन घर में बिता देते हैं। जबरदस्ती सोने की कोशिश न करें, न हर समय टीवी या फोन में लगे रहें। दूसरों से मिलने-जुलने के मौके तलाशें। कम से कम सुबह और शाम घर से बाहर जरूर निकलें। दूसरों का भला करना अपना भला करना है। दूसरों को सहयोग करना, हमारे अपने भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार
करता है।