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सिंहस्थ-2028: निर्माण कार्य और बजट में नासिक से आगे उज्जैन

नासिक दौरे से लौटे प्रशासनिक अधिकारी उज्जैन की तैयारियों से संतुष्ट

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अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। सीएम डॉ. मोहन यादव की गहरी सोच के कारण उज्जैन सिंहस्थ की तैयारी बेहतर चल रही है। तीन साल बाद शहर में होने वाले सिंहस्थ के काम महाराष्ट्र के नासिक की तुलना में काफी आगे हैं। बजट में भी मध्यप्रदेश ने महाराष्ट्र को पीछे छोड़ रखा है। महाराष्ट्र की तुलना मे करीब तीन गुना ज्यादा बजट उज्जैन सिंहस्थ में आवंटित हो चुका है।

पूरे देश में चार जगह कुंभ/सिंहस्थ के आयोजन होते हैं। प्रयागराज, हरिद्वार में कुंभ और नासिक व उज्जैन में सिंहस्थ लगता है। प्रयागराज और हरिद्वार में अर्धकुंभ का आयोजन भी हर छह साल में होता है, जबकि नासिक और उज्जैन में 12 साल में ही आयोजन होता है। प्रयागराज महाकुंभ के बाद अब कुंभ-सिंहस्थ का अगला आयोजन 2027 में नाशिक और 2028 में उज्जैन में होना है। प्रयागराज महाकुंभ में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ के बाद महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश सरकार अपने आयोजन को लेकर खूब मेहनत कर रहे हैं।

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नासिक में भीड़ प्रबंधन को लेकर ज्यादा दिक्कत इस लिए नहीं है, क्योंकि वहां मेले का आयोजन दो अलग-अलग टुकड़ों नासिक और त्र्यंकब में होता है। ऐसे में स्नान करने वालों की भीड़ भी बंट जाती है लेकिन उज्जैन में एक ही जगह पर मेला भी लगता है और स्नान भी साथ होता है। ऐसे में उज्जैन के आयोजन को देख रहे प्रशासनिक अधिकारी प्रयागराज, हरिद्वार और नासिक की व्यवस्थाओं का अवलोकन करने के लिए लगातार दौरे कर रहे हैं। एसीएस संजय दुबे के नेतृत्व में संभागायुक्त आशीष सिंह, कलेक्टर रौशनसिंह, निगमायुक्त अभिलाष मिश्रा, यूडीए सीईओ संदीप सोनी नासिक की व्यवस्था देखकर लौटे हैं। वहां की बेस्ट प्रैक्टिसेस उज्जैन में पहले से की जा रही है। यहां काम भी तेजी से चल रहे हैं।

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महाराष्ट्र में सिर्फ 6 हजार करोड़ का बजट: सिंहस्थ कामों के बजट के मामले में मध्यप्रदेश महाराष्ट्र से काफी आगे हैं। नासिक में अभी तक 6 हजार करोड़ रुपए का बजट सिंहस्थ के कामों लिए रखा गया है, जबकि उज्जैन में अब तक 20 हजार करोड़ रुपए के काम स्वीकृत किए जा चुके हैं। इनमें से कई तो शुरू भी हो गए हैं।

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क्या हैं समानताएं?

नासिक में भी श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए गोदावरी पर लंबे घाट बनाए जा रहे हैं। उज्जैन में भी शिप्रा में 29 किलोमीटर लंबे घाटों का काम शुरू हो गया है।

वहां भी रोड चौड़ीकरण और यात्री सुविधा पर काम हो रहा है, उज्जैन में भी मेला क्षेत्र में आने-जाने के लिए टू-लेन को फोरलेन में बदला जा रहा है।

नासिक में भी सरकार का पूरा जोर क्राउड मैनेजमेंट पर है, उज्जैन सिंहस्थ में क्राउड मैनेजमेंट के लिए उज्जैन शहर पर तो फोकस किया ही जा रहा है, उज्जैन तक आने वाले रोडों पर बसे बड़े शहरों को भी सिंहस्थ योजना में शामिल किया गया है। ताकि आवश्यकता पडऩे पर इन शहरों में श्रद्धालुओं को रोका जा सके।

नासिक और उज्जैन के काम में काफी समानता
नासिक और उज्जैन की प्लानिंग में कई समानता है। वहां भी नदी पर लंबे घाट बनाए जा रहे हैं, उज्जैन में भी 29 किलोमीटर लंबे घाट बन रहे हैं। उज्जैन सिंहस्थ का बजट भी काफी है। नासिक के अफसरों को उज्जैन आने का न्योता दिया है।
रौशनकुमार सिंह
कलेक्टर उज्जैन

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