पेरिस ओलिंपिक में ब्रॉन्ज विजेता हॉकी टीम के सदस्य और मप्र के खिलाड़ी विवेक सागर उज्जैन आए, अक्षरविश्व के प्रबंध संपादक श्रेय जैन से विशेष चर्चा में बोले

By AV NEWS

सेमीफाइनल की हार के बाद पूरी टीम थी निराश, लेकिन खाली हाथ देश न लौटने की जि़द ने दी ब्रॉन्ज मेडल जीतने की प्रेरणा

उज्जैन। पेरिस ओलिंपिक में अपनी स्टिक से कमाल दिखाकर ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाली इंडियन हॉकी टीम के खिलाड़ी मध्यप्रदेश निवासी विवेक सागर आज उज्जैन आए। उन्होंने महाकाल मंदिर में दर्शन कर कालभैरव मंदिर और अन्य धर्मस्थलों पर दर्शन- पूजन किया। उनके साथ उनके परिवारजन भी मौजूद रहे।

भारत को लगातार दो ओलिंपिक में मेडल जिताने वाली टीम के सदस्य रहे हॉकी खिलाड़ी विवेक सागर के लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कुछ दिन पूर्व 1 करोड़ की इनाम राशि की घोषणा की। 24 वर्ष की आयु में दो ओलिंपिक मेडल जीतने वाले खिलाड़ी विवेक से विशेष बातचीत कर उनसे ओलिंपिक के पलों और अब तक उनके स्पोर्ट्स करियर के बारे में जाना।

ओलिंपिक में मेडल जीतने का अनुभव कैसा रहा?

मेडल जीतने की फीलिंग को मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता। इसके पहले जब कोविड के समय ओलिंपिक हुआ था, तब स्टेडियम में उतने दर्शक नहीं थे। तब की जीत से यह वाली जीत थोड़ी ज्यादा महत्वपूर्ण और संतोषजनक इसलिए है, क्योंकि इस बार बड़ी संख्या में पेरिस में भारतीय फैंस स्टेडियम में मैच देखने मौजूद थे। हमने उन हजारों दर्शकों और टीवी पर लाइव देख रहे लाखों दर्शकों को निराश नहीं किया। श्रीजेश भाई का यह आखरी ओलिंपिक था तो यह मैच उनके लिए जीतना बहुत जरूरी था। हम सभी खिलाड़ी देश के साथ ही विशेष रूप से उनके लिए भी यह मेडल जीतना चाहते थे।

Q.सेमीफाइनल मैच के इतने क्लोज़ मुकाबले में हारने के बाद ब्रॉन्ज मेडल मैच के लिए टीम के खिलाडिय़ों ने खुद को मानसिक रूप से कैसे तैयार किया?

इतने क्लोज मार्जिन से सेमीफाइनल मैच हारने पर सभी खिलाड़ी निराश थे। उस रात शायद ही कोई ठीक से सो पाया होगा, लेकिन फिर अगले दिन टीम मीटिंग में निर्णय लिया कि हम यहां से खाली हाथ अपने देश वापस नहीं जाने वाले। हमें पिछली हार को भुलाकर हर हाल में यह मैच जीतना होगा। इसी मोटिवेशन के साथ सभी खिलाड़ी खेले और हमने ब्रॉन्ज मेडल मैच जीत लिया।

Q.लगातार दो ओलिंपिक में मेडल जीतने के बाद क्या हम यह माने की जो 1930, 40 और 50 के दशक में इंडियन हॉकी का प्रदर्शन और दबदबा रहता था हम उस ओर अब बढ़ रहे हैं?

निश्चित रूप से जिस दौर की आप बात कर रहे हैं वह इंडियन हॉकी टीम का स्वर्णिम युग था। अब पिछले कुछ सालों से जो इंडियन हॉकी टीम ने रिजल्ट्स दिए हैं उससे हमारी टीम का मनोबल बहुत बढ़ा है। केंद्र और प्रदेश सरकारों द्वारा भी खिलाडिय़ों को हर तरह से प्रोत्साहन मिल रहा है। आगे और भी बेहतर परिणाम देशवासियों को हॉकी टीम से देखने मिलेंगे।

Q.आपने कितनी उम्र से हॉकी खेलना शुरू किया? आपके प्रेरणा स्त्रोत कौन है?

11 वर्ष की उम्र में मैंने पहली बार हॉकी स्टिक पकड़ी थी। शुरुआत में सीनियर्स को देखते थे उसके बाद जब में अकादमी में पहुंचा तो वहां अशोक कुमार ध्यानचंद जी ने मुझे हॉकी के छोटे-छोटे गुर सिखाए। उन्ही की वजह से मैंने हॉकी को करियर के रूप में देखा और एक ऊँचे लेवल का लक्ष्य निर्धारित किया।

Q.हमारे देश में पेरेंट्स की सोच हमेशा बच्चों को पढ़ाई में आगे बढ़ाने की रहती है , स्पोर्ट्स में करियर बनाने के लिए आज भी बच्चों को उतना प्रोत्साहन नहीं मिलता, आपके जीवन में भी क्या ऐसे चैलेंज आए?

मेरे पिता प्राथमिक टीचर हैं और वो मुझे इंजीनियर बनाना चाहते थे। उनके नजरिये से देखा जाए तो वे सही भी थे। क्यूंकि पेरेंट्स किसी न किसी का उदाहरण देते हैं। उसी तरह से मेरे जिले में कोई हॉकी खिलाड़ी का उदाहरण नहीं था जिससे देखकर वह मुझे स्पोर्ट्स में आगे बढ़ाते, लेकिन उनका मना करना और मेरे अंदर हॉकी प्रेम से मुझे खुद को साबित करने की प्रेरणा मिली। हमारे देश में अभी भी खेल के प्रति रोक-टोक काफी है और हायर एजुकेशन के प्रति पेरेंट्स का झुकाव होता है। मैं फिर भी कहना चाहूंगा कि आप स्पोर्ट्स में अच्छा करते हैं तो एजुकेशन से पहले आप सक्सेस पाएंगे।

Q.जो बच्चे स्पोर्ट्स में करियर बनाना चाहते हैं उनके पेरेंट्स से आप क्या अपील करना चाहेंगे?

मैं ऐसे सभी पेरेंट्स से बस यही कहूंगा कि आप बच्चों के साथ खड़े रहे और बाकी स्पोट्र्स इक्विपमेंट्स, सामग्री एवं अन्य सुविधाओं के लिए सरकार बहुत कुछ कर रही है। बहुत सी अच्छी अकादमी खोली गई हैं। आप बस बच्चों के निर्णयों में उनके साथ खड़े रहे।

Q.एक बात हमेशा उठती है कि जितना सपोर्ट क्रिकेट और क्रिकेटर्स को मिलता है उतना अन्य खेलों को नहीं मिलता, इस पर आप क्या सोचते है?

क्रिकेट बहुत अच्छा खेल है। सभी खिलाड़ी बहुत अच्छा खेल रहे हैं। अभी हम वल्र्डकप भी जीते हैं तो उन्हें फैन फॉलोईंग मिलेगी ही। लेकिन देखिये अब अन्य स्पोर्ट्स में भी खिलाडिय़ों ने अच्छा परफॉर्म करना शुरू किया है। मेडल्स आने लगे हैं तो सपोर्टर बढ़ेंगे ही। हॉकी में भी हम और मेहनत कर बेहतर करेंगे जिससे हमें देशवासियों और खेल प्रेमियों का और अधिक सपोर्ट मिल सके।

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