32 लाख रुपए का जल कर बकाया महाकाल मंदिर पर

By AV News

पीएचई भी वसूली के लिए भेजेगा पत्र

सुधीर नागर उज्जैन। महाकाल मंदिर प्रबंध समिति पर जल कर के भी 32 लाख रुपए से अधिक बकाया हो गए हैं। पिछले चार सालों से मंदिर प्रशासन और पीएचई के बीच किसी विवाद को लेकर बिल भरे नहीं जा पा रहे। निगम प्रशासन द्वारा संपत्तिकर वसूली की कार्रवाई के बाद पीएचई भी बकाया राशि की वसूली के लिए कार्रवाई की तैयारी कर रहा है। होली के दिन भस्मारती के दौरान गुलाल से लगी आग को लेकर मंदिर पूरे देश में सुर्खियों में है।

अब मंदिर प्रशासन पर टैक्स वसूली का संकट भी मंडरा गया है। पीएचई के अधिकारियों के अनुसार महाकाल मंदिर प्रशासक को पिछले माह 12 जनवरी 2024 को पत्र लिखकर जलकर की बकाया राशि जमा कराने को कहा गया था, लेकिन अब तक जमा नहीं हो सका है। अक्टूबर 2020 से मंदिर में उपयोग हो रहे।पेयजल का बिल जमा नहीं हो पा रहा।

अप्रैल 2022 से जलकर की नई दरें लागू हो गई लेकिन बिल जमा न हो पाने के कारण हर माह पेनल्टी के कारण बिल की यह राशि बढ़ती जा रही। उल्लेखनीय है कि नगर निगम की टीम महाकाल मंदिर समिति से बकाया संपत्तिकर वसूली के लिए बुधवार को पहुंची थी।

आपसी विवाद के कारण पेंडिंग

दरअसल, मंदिर प्रशासन और पीएचई के बीच कुछ मुद्दों को लेकर विवाद की स्थिति बनी हुई है। मंदिर प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि पहले विवाद का निराकरण हो जाए तो बिल जमा करने में कोई हर्ज नहीं।

चार साल से ऐसे बढ़ रहा बिल

अक्टूबर से मार्च 22 तक 68100 रुपए।प्रतिमाह के हिसाब से 12 लाख 25 हजार 800 रुपए बिल बना।

इस पर हर माह 6810 रुपए के हिसाब से 1 लाख 22 हजार 580 रुपए की पेनल्टी जुड़ी।

कुल 13 लाख 48 हजार 380 रुपए का बिल बना।

अप्रैल 22 में नई दर के हिसाब से हर माह 78 हजार 315 रुपए का बिल बना।

जनवरी 24 तक यह 29 लाख 48 हजार 730 रुपए तक पहुंचा।

 हर माह 7832 रुपए के हिसाब से 2 लाख 94 हजार 884 रुपए की कुल पेनल्टी लगी। (शेष पेज 5 पर)

 कुल 32 लाख 43 हजार 614 रुपए का बिल बकाया हो गया।

पत्र भेजा है

महाकाल मंदिर प्रशासक को बकाया जलकर जमा कराने के लिए पत्र लिखा गया था, जो अब तक जमा नहीं हुआ है। कुल बकाया राशि 32 लाख 43 हजार 614 रुपए जमा कराने को पत्र लिखा है।
प्रकाश शर्मा, प्रभारी जलकार्य समिति

निराकरण होगा

जल कर की राशि और संपत्तिकर को लेकर हम प्रयास कर रहे हैं। जो इशू हैं उनका निराकरण पहले होना जरूरी है।
संदीप कुमार सोनी, प्रशासक महाकाल मंदिर

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