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पुष्‍य नक्षत्र क्या होता है, जानिए क्यों कहलाता है नक्षत्रों का राजा

हिंदू धर्म में व्रत, पर्व और त्योहारों का विशेष महत्व होता है, और इन सभी के लिए मुहूर्त का चयन अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इन्हीं विशेष मुहूर्तों में से एक है पुष्य नक्षत्र, जिसे सभी 27 नक्षत्रों में सबसे शुभ और विशेष स्थान प्राप्त है। पुष्य का शाब्दिक अर्थ है ‘पोषण करने वाला’ या ‘शक्ति प्रदान करने वाला’। पुराणों में इसे ‘नक्षत्रों का राजा’ की उपाधि दी गई है। ऋग्वेद में पुष्य नक्षत्र को ‘मंगलकर्ता’ कहा गया है। यह नक्षत्र समृद्धिदायक, शुभ फल प्रदान करने वाला और चिरस्थायी लाभ देने वाला माना जाता है। इस वर्ष, पुष्य नक्षत्र 14 और 15 अक्टूबर 2025 को रहेगा। इसका समय लगभग 24 घंटे से अधिक है, जिससे भक्तों को पूरी रात और दो दिन तक शुभ कार्य करने का पर्याप्त अवसर मिलेगा।

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पुष्य नक्षत्र कार्तिक कृष्ण अष्टमी दिन मंगलवार दोपहर 3:42 पर लगेगा, जो अगले दिन बुधवार 15 अक्टूबर 2025 को दोपहर 3:19 तक रहेगा। स्वराशि कर्क का चंद्रमा मंगलवार को दिन में 9:50 से लेकर अगले दिन यानी बुधवार संपूर्ण दिन रात्रि रहकर, गुरुवार 16 अक्टूबर को दोपहर को 3:27 तक चंद्रमा कर्क राशि में रहेगा।

कल होंगे प्रॉपर्टी सौदे कल मंगलवार को पुष्य नक्षत्र में प्रॉपर्टी सौदे ज्यादा होने की संभावना है क्योंकि भूमि पर मंगल का आधिपत्य है, इसलिए मंगल पुष्य में खरीदी गई जमीन विशेष फलदायी होती है।

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पुष्य नक्षत्र की विशेषता: पुष्य नक्षत्र को इतना शक्तिशाली बनाने के पीछे इसके देवता और प्रतिनिधि ग्रहों का संयोजन है:

 देवता: पुष्य नक्षत्र के अधिष्ठाता देवता बृहस्पति देव माने गए हैं। बृहस्पति शुभता, बुद्धिमत्ता, ज्ञान, धर्म और धन-धान्य के प्रतीक हैं।

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 दिशा प्रतिनिधि: इस नक्षत्र का दिशा प्रतिनिधि ग्रह शनि को माना जाता है। शनि स्थायित्व, कर्मठता और लंबे समय तक चलने वाले प्रभाव का कारक है।

जब बृहस्पति की शुभता और शनि का स्थायित्व एक साथ मिलते हैं, तो यह योग पुष्य नक्षत्र को महामुहूर्त बना देता है। इसका मतलब है कि इस समय किया गया कोई भी शुभ कार्य या लिया गया निर्णय अक्षय (कभी न खत्म होने वाला) और स्थायी शुभ फल देने वाला होता है।

खरीदी के लिए पुष्य नक्षत्र क्यों है विशेष: पुष्य नक्षत्र को खरीदारी के लिए विशेष मुहूर्त माने जाने के पीछे भी स्थायित्व का यही सिद्धांत काम करता है। ऐसी मान्यता है कि:

1. अक्षय फल: इस मुहूर्त में खरीदी गई कोई भी वस्तु जैसे सोना, चांदी, वाहन या संपत्ति, अधिक समय तक उपयोगी बनी रहती है और घर में समृद्धि का वास लाती है।

2. चिर स्थायी लाभ: पुष्य नक्षत्र में निवेश किया गया धन या खरीदी गई वस्तु हमेशा शुभ फल प्रदान करती है। यह केवल भौतिक लाभ ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और मानसिक सुख भी सुनिश्चित करता है।

3. बंधन मुक्त: ज्योतिष के अनुसार, पुष्य नक्षत्र सभी प्रकार के दोषों से मुक्त होता है। यही कारण है कि इसे किसी भी बड़े निवेश या नए काम की शुरुआत के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।

पुष्य नक्षत्र में क्या खरीदना चाहिए?

चूंकि पुष्य नक्षत्र शुभता और स्थायित्व का प्रतीक है, इसलिए इसमें कई तरह की चीजों की खरीदारी का महत्व है।

 सोना: पुष्य नक्षत्र में सोने की खरीदी को सबसे अधिक महत्व दिया जाता है। माना जाता है कि इससे घर में धन की स्थिरता आती है।

 वाहन और संपत्ति: कार, स्कूटर, बाइक जैसे वाहन और भूमि या भवन (घर) की खरीदी इस दिन विशेष रूप से शुभ मानी जाती है, क्योंकि यह खरीदी लंबे समय तक चलती है।

 इलेक्ट्रॉनिक सामान: टीवी, फ्रिज, वाशिंग मशीन, कंप्यूटर, लैपटॉप जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स गुड्स की खरीदी भी इस शुभ मुहूर्त में की जाती है।

 धातु और बर्तन: सोना-चांदी के अलावा, नए बर्तन और अन्य कीमती धातुएं खरीदना भी शुभ माना जाता है।

पुष्य नक्षत्र से जुड़ी बातें

पुष्य नक्षत्र को नक्षत्रों का राजा कहा जाता है।

27 नक्षत्रों के क्रम में आठवें स्थान पर पुष्य नक्षत्र आता है।

रविवार, बुधवार व गुरुवार को आने वाला पुष्य नक्षत्र अत्यधिक शुभ होता है।

ऋग्वेद में इसे मंगलकर्ता, वृद्धिकर्ता एवं आनंदकर्ता कहा गया है।

इस नक्षत्र में खरीदी गई कोई भी वस्तु शुभ फल प्रदान करती है, क्योंकि यह नक्षत्र स्थाई होता है

हर माह पुष्य नक्षत्र का योग बनता है, किंतु दीपावली के पहले आने वाला पुष्य नक्षत्र विशेष माना जाता है।

पुष्य नक्षत्र के देवता बृहस्पति हैं और स्वामी शनि हैं।

दो दिन कब कौनसा मुहूर्त

14 अक्टूबर

 सुबह 11.00 से 01.49 तक लाभ

दोपहर 03.15 से 4.41 बजे तक अमृत

शाम 7.30 से 9.00 बजे तक लाभ

रात 10.36 से 12.10 बजे तक शुभ

15 अक्टूबर

सुबह 6.41 से 09.32 बजे तक लाभ

सुबह 10.58 से 12.23 बजे तक अमृत

दोपहर 03.15 से 04.40 बजे तक शुभ

शाम 4.40 से 6.04 बजे तक अमृत

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