महेश नवमी का पावन पर्व हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। साल 2024 में 15 जून को यह तिथि है। शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि का आरंभ 14 तारीख की रात्रि में 12 बजकर 5 मिनट से हो जाएगा और 15 तारीख की देर रात 2 बजकर 34 मिनट तक यह तिथि व्याप्त रहेगी।
उदयातिथि की मान्यता के अनुसार 15 जून को ही महेश नवमी मनाई जाएगी। इस दौरान पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 15 जून सबुह 7 बजकर 8 मिनट से 8 बजकर 53 मिनट तक रहेगा।
माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूरे विधि-विधान से पूजा करने और व्रत रखने से सौभाग्य और अखंड ऐश्वर्य में वृद्धि होती है। अगर इस दिन पूजा के दौरान भोलेनाथ के मंत्रों का नियम के अनुसार जाप किया जाए तो जीवन में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है। साथ ही भय, मृत्यु और नश्वरता से मुक्ति पाई जा सकती है। शुभ मुहूर्त में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करना आपके लिए हितकारी साबित होगा।
तो आइए जानते हैं महेश नवमी के शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में-
पूजा विधि
महेश नवमी के दिन सुबह उठकर स्नान करके साफ-सुथरे वस्त्र धारण कर व्रत का संकल्प लें।
फिर घर के मंदिर को अच्छे से साफ करें और गंगा जल का छिड़काव करें।
अब एक चौकी पर शिव परिवार की मूर्ति स्थापित करें।
शिव परिवार के साथ ही शिवलिंग की पूजा और अभिषेक करें।
इसके बाद शिव जी को फूल, गंगा जल, बेलपत्र और माता को श्रृंगार का सामान अर्पित करें।
अब शिव के समक्ष घी का दीपक जलाएं और शिव के मंत्रों का जाप करें।
महेश नवमी के दिन दान-पुण्य करना करने से भी शिव कृपा आपको प्राप्त होती है।
अंत में आरती करके व्रत का पारण करें।
महेश नवमी का महत्व
मान्यताओं के अनुसार महेश नवमी के दिन भगवान महेश और मां पार्वती ने ऋषियों के श्राप से पत्थर हो चुके 72 क्षत्रियों को शाममुक्त किया था। इसके बाद उन क्षत्रियों को माता पार्वती ने आशीर्वाद दिया था कि तुम्हारे कुल पर हमारी छाप रहेगी और तुम्हारा वंश माहेश्वरी के नाम से जाना जाएगा। इसलिए माहेश्वरी समाज में महेश नवमी के दिन भगवान शिव की पूजा आराधना का बड़ा महत्व है। माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव के महेश रूप की आराधना करने से दुख और विपदाओं से मुक्ति मिल जाती है।