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उज्जैन जिले में एक साल में 10 हजार 403 अपराध अपहरण-वाहन चोरी-बलात्कार की घटनाएं बढ़ी

रेंज में चार जिलों के अपराध का ग्राफ बढ़ा, वर्ष 2022 में 23 हजार से अधिक प्रकरण दर्ज

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उज्जैन जिले में एक साल में 10  हजार 403 अपराध अपहरण-वाहन चोरी-बलात्कार की घटनाएं बढ़ी

(शैलेष व्यास)उज्जैन। अपराधियों पर अंकुश लगाने के लिए कई प्रयास किए जाते है। इसके बाद भी उज्जैन संभाग के चार जिलों अपराधों की संख्या बढ़ती जा रही है। वैसे केवल उज्जैन जिले की बात करें,तो यहां कुल दर्ज अपराधों की संख्या कमी आई है, लेकिन अपहरण-वाहन चोरी-बलात्कार की घटनाएं बढ़ी है।

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पुलिस विभाग की जानकारी के मुताबिक ओवर ऑल चार जिलों में वर्ष 2022 (एक जनवरी से 31 दिसंबर) तक कुल 23 हजार 589 प्रकरण दर्ज हुए हैं, जो पिछले वर्ष 2021 की तुलना में 3 हजार 980 अधिक हैं। उज्जैन जिले में वर्ष 2022 में 10 हजार 403 अपराध हुए।

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यह 2021 की उपेक्षा 3 हजार 978 कम है। पुलिस रेंज उज्जैन संभाग के चार जिलों उज्जैन, देवास, शाजापुर और आगर में वर्ष 2022 में हत्या के 87 और बलात्कार 413 प्रकरण हुए हैं। राहत की बात यह कि केवल शाजापुर में डकैती की दो घटनाएं हुई है। उज्जैन में वर्ष 2022 में 275 अपहरण, वाहन चोरी 86 4और 138 बलात्कार की घटनाएं हुई है, जो वर्ष 2021 की तुलना में अधिक है।

पुलिस विभाग के जानकारों का कहना है कि उज्जैन रेंज के चार जिलों में अपराधों का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। इसकी बड़ी वजह यह है कि पुलिस पर खर्च तो बढ़ा है, पर आधुनिकीकरण और संसाधन बढ़ाने पर जोर नहीं दिया गया। अन्य राज्यों की तरह अपराध रोकने के लिए सीसीटीवी कैमरे और अन्य तकनीक के उपयोग में पुलिस विभाग पिछड़ा है।

पर्याप्त बजट के अभाव में मुखबिर तंत्र भी कमजोर हुआ है। इसके अलावा पुलिस के पास इन्वेस्टिगेशन के लिए अलग से विंग नहीं है। इस कारण जांच में भी देरी होती है। ऐसे में पुलिस बल बढ़ाने के साथ ही मौजूदा बल को सशक्त बनाने की भी जरूरत है।

एक पुलिसकर्मी पर 6.44 लाख रुपए का खर्च

विभाग के सोर्स बताते हंै कि प्रदेश में एक पुलिसकर्मी पर 6 लाख 44 खर्च किए जा रहे हैं। 1956 में यह आंकड़ा 486 रुपये था। पिछले तीन वर्ष से मध्य प्रदेश पुलिस का बजट आठ हजार करोड़ के आसपास है।

इसमें 80 प्रतिशत के करीब सिर्फ वेतन-भत्तों में खर्च होता है। अन्य कार्यों के लिए सिर्फ 20 प्रतिशत राशि बचती है। इस कारण अपराधों की रोकथाम में पुलिस के आधुनिकीकरण के लिए पर्याप्त बजट उपलब्ध नहीं हो पाता। पुलिस बल से लेकर अन्य संसाधनों की कमी है। 2001-02 में राज्य के कुल बजट में से पुलिस का बजट चार प्रतिशत होता था। अब यह तीन प्रतिशत के आसपास है।

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