उज्जैन में कालगणना की दृष्टि से वेधशाला में लगेगी वैदिक घड़ी

1 करोड़ 62 लाख रू. की आएगी लागत
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उज्जैन। उज्जैन की जीवाजी वेधशाला में कालगणना की दृष्टि से करीब 300 वर्ष पूर्व महाराजा जयसिंह द्वारा बनवाई गई जीवाजी वेधशाला में वैदिक घड़ी लगेगी। इसकी लागत करीब 1 करोड़ 62 लाख रूपए आएगी। इसका भूमि पूजन 6 नवंबर को सम्पन्न होगा।
उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव ने बताया कि उनके प्रयास से उक्त घड़ी का निर्माण जीवाजी वेधशाला परिसर में करवाया जा रहा है। भूमि पूजन 6 नवंबर को प्रात: 10.30 बजे होगा। उन्होने बताया कि उज्जयिनी कालगणना की दृष्टि से वैश्विक स्थान रखती है। इसे देखते हुए इसे पुर्नस्थापित करने हेतु उक्त प्रयास किया जा रहा है।
यह है घड़ी की खास बात
यह घड़ी वैदिग कालगणना के सिद्धांतों पर आधारित होगी। प्रतिदिन सूर्योदय में होनेवाले परिवर्तन तथा देश-दुनिया में अलग-अलग स्थानों पर होनेवाले सूर्योदय को भी सिंक्रोनाइज किया जाएगा। वैदिक घड़ी की एप्लीकेशन में विक्रम पंचांग समाहित रहेगा। ग्रह स्थिति,योग, भद्रा स्थिति,चंद्र स्थिति,पर्व,शुभाशुभ मूहुर्त, नक्षत्र,जयंती,व्रत,त्यौहार,चौघडिय़ा,सूर्य-चंद्र ग्रहण, प्रमुख अवकाश, आकाशीय ग्रहों की स्थिति,धूमकेतु की स्थिति आदि की जानकारी,ज्योतीषिय जानकारी आदि मिलेगी। इस वैदिक घड़ी एप्लिकेशन को मोबाइल,एलईडी,स्मार्ट टीवी,टैब, डिजिटल घड़ी आदि पर अवश्य देखा/दिखाया जा सकेगा। वैदिक घड़ी के बैकग्राउंड ग्राफिक्स में सभी ज्योतिर्लिंग,नवग्रह,राशि चक्र, सूर्योदय,सूर्यास्त आदि रहेगा।
300 वर्ष पूर्व हुआ था वेधशाला का निर्माण
इस वेधशाला को जयपुर के महाराजा जयसिंह ने 1733 ईस्वी में बनवाया था। जैसा कि भारत के खगोलशास्त्री तथा भूगोलवेत्ता यह मानते आये हैं कि देशांतर रेखा उज्जैन से होकर गुजरती है। यहां के प्रेक्षाग्रह का भी विशेष महत्व रहा है। यहां चार यंत्र लगे हुऐ हैं-सम्राट यंत्र,नाद वलय यंत्र,दिगांश यंत्र एवं भित्ती यंत्र। इन यंत्रों का सन 1925 में तत्कालिन सिङ्क्षधिया रियासत के महाराजा माधवराव सिंधिया ने मरम्मत करवाई थी।