Advertisement

एक माह में दो ग्रहण….पितृमोक्ष अमावस्या को सूर्य, शरद पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण

अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन एक ही माह में दो ग्रहण लगने वाले है। पितृमोक्ष अमावस्या के दिन 14 अक्टूबर को सूर्यग्रहण और शरद पूर्णिमा का पर्व २8 अक्टूबर चंद्रग्रहण पड़ रहे है। हालांकि सूर्यग्रहण भारत में नजर नहीं आने वाला है। इस बार शरद पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण रहेगा, जो भारतवर्ष में दिखाई देगा। चंद्रमा की शीतल रोशनी में बनने वाली खीर भी इस बार ग्रहण के कारण मध्यरात्रि में नहीं बन पाएगी।

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

Advertisement

सर्व पितृमोक्ष अमावस्या के दिन 14 अक्टूबर को सूर्यग्रहण रहेगा, जबकि शरद पूर्णिमा 28 अक्टूबर को चंद्रग्रहण रहेगा। सूर्यग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए हमारे यहां न तो इसका कोई सूतक मान्य होगा और न ही कोई दोष लगेगा, इसलिए पितृमोक्ष अमावस्या के दिन सभी प्रकार के आयोजन निर्विघ्न होंगे। इसी प्रकार शरद पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण लगेगा, जो भारतवर्ष में दिखाई देगा। इस ग्रहण का सूतक दोपहर बाद से प्रारंभ होगा, जो मध्यरात्रि के बाद तक रहेगा। इस दिन रात्रि में मंदिरों के पट बंद रहेंगे, मंदिरों में भजन कीर्तन तो होंगे, लेकिन खीर का भोग नहीं लगेगा।

शनिश्चरी अमावस्या भी

Advertisement

अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या 14 अक्टूबर को शनिश्चरी अमावस्या कहला रही है। वैसे अश्विन मास कृष्ण पक्ष की अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इसके पहले वर्ष 2019 में इस तरह का योग बना था। जब शनिवार के दिन सर्व पितृ अमावस्या आई थी। पितृ अमावस्या के दिन धार्मिक क्रियाओं का विशेष लाभ मिलता है। पित्रों के पूजन तथा शनि पूजन की मान्यता बताई जाती है।

इस तरह का अगला योग अब वर्ष 2026 में बनेगा।ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस बार 14 अक्टूबर को सर्वपितृ शनिश्चरी अमावस्या पर गज छाया नाम का योग बन रहा है। ऐसा तब होता है जब चंद्रमा सूर्य के साथ कन्या राशि हस्त नक्षत्र पर गोचर करता हो तो गज छाया नाम का योग बनता है।

Advertisement

Related Articles