क्या सत्तापक्ष के पार्षदों की नजर में पार्टी संगठन का कोई महत्व नही…?

साधारण सम्मेलन के लिए निर्देश के बाद भी देरी से पहुंचे सदन में…
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शहर में 6 जोन यथावत रहेंगे कोई बदलाव नहीं
उज्जैन।नगर निगम के पहले साधारण सम्मेलन में सत्तापक्ष के पार्षदों की लापरवाही सामने आ गए। ऐसा लगा कि पार्षदों की नजर में संगठन का कोई महत्व नहीं है। दरअसल संगठन के साथ पार्षदों की बैठक में स्पष्ट निर्देश थे कि सम्मेलन प्रारंभ होने के आधे घंटे पहले सदन में पहुंचना है। इसके बाद भी भाजपा के 10 से 12 पार्षद देरी से सदन में आए।
नगर निगम सम्मेलन को लेकर भाजपा संगठन में एक व्यवस्था है कि पार्टी के सभी पार्षदों की संगठन के साथ बैठक हो, जिसमें सदन के भीतर पार्षदों की भूमिका, रणनीति और प्रस्ताव पर पक्ष रखने के संबंध में दिशा-निर्देश दिए जाते है। गुरुवार को नई नगर निगम का पहला साधारण सम्मेलन आयोजित किया गया था। इसके पहले भाजपा संगठन की बैठक में पार्षदों को साफ निर्देश थे, कि पहला सम्मेलन है और इसमें जोन समितियों का महत्वपूर्ण प्रस्ताव रखा जाना है। इसमें सत्तापक्ष के सभी पार्षदों को तय समय से पहले सदन में पहुंचना है। इस निर्देश के बाद भी गुरुवार को 10 से 12 पार्षद संगठन के निर्देश को नजरअंदाज कर देरी से आए। कुछ पार्षद तो सदन प्रारंभ होने के आधे-पौन घंटे बाद पहुंचे थे।
जोन बढ़ाने पर खींचतान
सूत्रों का कहना है कि भाजपा के एक गुट की मंशा शहर में निगम जोन की संख्या 6 से बढ़ाकर 8 और नए सिरे से जोन विभाजन करने की थी। इसके लिए प्लानिंग और प्रस्ताव भी बनाया जा चुका था। इसे सदन में लाने के पहले संगठन के समक्ष रखा गया। पार्टी के वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं के विचार-मंथन के बाद नियम के साथ-साथ आने वाले समय में व्यवहारिक दिक्कतों को ध्यान में रखकर जोन समितियों को यथावत रखने का निर्णय लिया गया है। हालांकि इसे लेकर जमकर खींचतान हुई।
होटल में पार्षदों की अलग बैठक
निगम सम्मेलन के पहले भाजपा पार्षद की संगठन के साथ हुई बैठक के अलावा पार्षदों के एक गुट की संगठन से अलग बैठक की भी चर्चा है। सूत्रों के मुताबिक दशहरा मैदान क्षेत्र की एक होटल में पार्षदों की बैठक हुई, जिसमें एक गुट विशेष से संबंध रखने वाले 19 पार्षद-पार्षद पति और गुट के मुखिया मौजूद थे। एक पार्षद पति ने बैठक होने की बात स्वीकारी, लेकिन कहा कि इस बैठक का सदन से कोई संबंध नहीं था। चर्चा है कि सदन में जो पार्षद विलंब से पहुंचे थे उनका संबंध भी इसी गुट से है।
सदन में यह भी निर्णय
- महापौर और पार्षदों में सहमति बनी कि अब निगम में कोई पैक्ड बॉटल का पानी नहीं पीएगा, वह अफसर हो या जनप्रतिनिधि, जो पानी शहरवासी पी रहे हैं (पीएचई का) वही पानी अफसरों और हमारे पास पहुंचेगा।
- समितियों को यथावत रखा जाएगा।
- शिक्षक दिवस पर शिक्षक सम्मान के लिए सभी पार्षदों अपने वार्ड के एक-एक शिक्षक का नाम देंगे।









