दीवाली का शुभ मुहूर्त, कब की जाएगी मां लक्ष्मी और श्री गणेश की पूजा

दिवाली का त्योहार धनतेरस से शुरू होकर भाई दूज पर समाप्त होता है। कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तिथि को धनतेरस सेलिब्रेट करते हैं। कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी मनाते हैं, जिसे छोटी दिवाली भी मनाते हैं। कई लोग त्रयोदशी तिथि यानी धनतेरस के दिन प्रदोष व्रत रखकर भगवान शिव की अराधना करते हैं। चतुर्दशी तिथि को मास शिवरात्रि का व्रत रखते हैं। हालांकि इस साल तिथियों में भम्र के कारण लोगों के बीच कंफ्यूजन है कि आखिर कब धनतेरस मनाया जाएगा, कब नरक चतुर्दशी और कब दिवाली सेलिब्रेट की जाएगी।
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धनतरेस कब है
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तिथि का आरंभ 12 नवंबर को रात 9 बजकर 30 मिनट पर हो रहा है। जो कि 13 नवंबर की शाम 5 बजकर 59 मिनट तक रहेगी। ऐसे में उदया तिथि में धनतेरस 13 नवंबर को मनाया जाएगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस दिन ही प्रदोष व्रत रखना उत्तम होगा।
नरक चतुर्दशी कब है
कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी तिथि का आरंभ 13 नवंबर को शाम 5 बजकर 59 मिनट पर हो रहा है। चतुर्दशी तिथि 14 नवंबर को दिन में 2 बजकर 18 मिनट तक रहेगी। शास्त्रों के अनुसार, उदया तिथि में ही व्रत या चतुर्दशी को मनाना चाहिए। ऐसे में इस साल 14 नवंबर को नरक चतुर्दशी मनाई जाएगी।
दिवाली कब है
अमावस्या तिथि 14 नवंबर से प्रारंभ होकर दोपहर 2 बजकर 17 मिनट से अगले दिन 15 नवंबर को सुबह 10 बजकर 36 मिनट तक रहेगी। ऐसे में दिवाली 14 नवंबर को मनाई जाएगी। चूंकि दीपावली अमावस्या तिथि की रात और लक्ष्मी पूजन अमावस्या की शाम को होता है, इसलिए 14 नवंबर को ही महालक्ष्मी पूजन किया जाएगा। अमावस्या अगले दिन 15 नवबर को 10 बजे तक रहेगी। इसके अलावा धनतेरस त्रयोदशी तिथि 12 नवंबर 2020 की रात 09:30 बजे से लग रही है और 13 नवंबर तक रहेगी। लक्ष्मी पूजन शाम 5 बजे से 7 बजे तक किया जा सकता है।
दिवाली पर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। मान्यता है कि दीपावली पर मां लक्ष्मी और श्री गणेश पूजन से शांति, तरक्की और समृद्धि का वरदान प्राप्त होता है। दिवाली पर हर व्यक्ति माता लक्ष्मी और भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए पूरे विधि-विधान से पूजा करना चाहता है। इनकी पूजा में कोई कमी न रह जाए इसके लिए पहले से दीपावली पूजन सामग्री का इंतजाम कर लें।
दिवाली की पूजन सामग्री
मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा, रोली, कुमुकम, अक्षत (चावल), पान, सुपारी, नारियल, लौंग, इलायची, धूप, कपूर, अगरबत्तियां, मिट्टी, दीपक, रूई, कलावा, शहद, दही, गंगाजल, गुड़, धनिया, फल, फूल, जौ, गेहूं, दूर्वा, चंदन, सिंदूर, पंचामृत, दूध, मेवे, खील, बताशे, जनेऊ, श्वेस वस्त्र, इत्र, चौकी, कलश, कमल गट्टे की माला, शंख, आसन, थाली. चांदी का सिक्का, चंदन, बैठने के लिए आसन, हवन कुंड, हवन सामग्री, आम के पत्ते प्रसाद।