महाकाल के आंगन में धनतेरस का पूजन, दीपोत्सव शुरू

भगवान महाकालेश्वर कल से गर्म जल से स्नान करेंगे
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उज्जैन।महाकाल के आंगन में धनतेरस के पूजन के साथ ही दीपोत्सव की शुरुआत हो गई। 24 अक्टूबर को रूप चौदस है। महाकाल मंदिर में तड़के चार बजे भस्म आरती में पुजारी परिवार की महिलाएं भगवान महाकाल को केसर चंदन का उबटन लगाएंगी। इसके बाद पुजारी भगवान महाकाल को गर्म जल से स्नान कराकर मनमोहक श्रृंगार करेंगे।
दीपोत्सव क्रम में रविवार को पुरोहित समिति द्वारा धनतेरस पूजन किया गया। सुबह कलेक्टर आशीषसिंह व प्रशासक संदीप कुमार सोनी की मौजूदगी में देश में सुख,समृद्धि तथा आरोग्यता की कामना से भगवान महाकाल की पूजा अर्चना की गई। पुरोहितों ने भगवान महाकाल को चांदी का सिक्का अर्पित किया।
शाम से चतुर्दशी: दीपोत्सव में रूप चतुर्दशी पर रूप सौंदर्य के लिए सूर्योदय से पहले अभ्यंग्य स्नान किया जाएगा। चतुर्दशी तिथि 23 अक्टूबर रविवार को शाम 5.21 बजे लगेगी जो अगले दिन 24 अक्टूबर को शाम को 5.27 बजे तक रहेगी। शास्त्र मान्यता के अनुसार रूप चतुर्दशी तिथि जिस दिन सूर्योदय के समय रहती है उस दिन मनाई जाती है। इसके तहत 24 अक्टूबर को सुबह रूप चतुर्दशी का पर्व मनाया जाएगा।
भगवान महाकाल का गर्म जल से स्नान
ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी से भगवान महाकाल तड़के चार बजे भस्म आरती में गर्म जल से स्नान करेंगे। यह क्रम फाल्गुन पूर्णिमा तक चलेगा।
मान्यता है कि इन दिनों तेज ठंड की शुरुआत हो जाती है, भगवान को सर्दी न लगे इसलिए चार माह भगवान को भस्म आरती में गर्म जल से स्नान कराया जाता है। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी रूप चौदस के नाम से जानी जाती है। इस दिन सूर्योदय से पूर्व उबटन लगाकर स्नान करने की शास्त्रीय मान्यता है। लौकिक जगत में भगवान महाकाल उज्जैन के राजा माने जाते हैं, इसलिए लोकाचार की समस्त परंपराओं का मंदिर में निर्वहन होता है।
महाकाल मंदिर में कल मनेगी दीपावली
ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में 24 अक्टूबर को दीपावली मनाई जाएगी। तड़के 4 बजे भस्म आरती में पुजारी परिवार की महिलाएं भगवान महाकाल को केसर चंदन का उबटन लगाएंगी। इसके उपरांत भगवान महाकाल को गर्मजल से स्नान कराया जाएगा।
शृंगार के पश्चात अन्नकूट का महाभोग लगाकर फुलझड़ी से आरती की जाएगी। मंदिर की परंपरा अनुसार धनतेरस पर 23 अक्टूबर से दीपपर्व की शुरुआत होगी। तिथि क्षय होने के कारण इस बार चार की बजाय तीन दिवसीय उत्सव मनेगा।