मामला: गुरुनानक अस्पताल में भर्ती आयुष्मान कार्ड धारक मरीज के इलाज में भेदभाव का

181 पर शिकायत हुई तो जागा प्रशासन

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अब तक न व्यवस्थाएं सुधरी और न ही तैयार हुई अस्पताल की भवन नपती रिपोर्ट

उज्जैन। आयुष्मान भारत योजना के तहत होने वाले 5 लाख रुपए तक के कैशलेस इलाज का फायदा शहर के कार्डधारकों को मिल नहीं पा रहा है। हाल ही ऐसा ही एक मामला फ्रीगंज घास मंडी स्थित गुरुनानक अस्पताल में सामने आया है। जिसमें कोरोना संक्रमित आयुष्मान कार्ड धारक खाचरौद के एक मरीज को अस्पताल में भर्ती तो किया गया लेकिन उसे अन्य मरीजों की तरत सुविधाएं नहीं दी जा रही थी। अस्पताल प्रबंधक उसे अलग रखकर केवल सरकारी दवाएं ही उपलब्ध करा रहा था।

मजबूरन मरीज और उसके परिजन ने उक्त भेदभाव की शिकायत सीएम हेल्प लाइन पर कर दी जिससे बाद उक्त मामला उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह के संज्ञान में आया और जिला प्रशासन के अधिकारी जांच के लिए पहुंचे। मामले में अस्पताल प्रबंधक को चेतावनी दी गई है कि उन्हें आयुष्मान कार्ड धारकों का इलाज वैसे ही करना होगा जैसा अस्पताल में भर्ती अन्य मरीजों का हो रहा है, साथ ही निगम के अधिकारियों को अस्पताल भवन की नपती के निर्देश दिये गए थे, लेकिन अभी तक न अस्पताल की व्यवस्थाएं सुधर पाई न ही जिम्मेदारों ने भवन नपती रिपोर्ट तैयार की।

शहर के अधिकांश निजी अस्पतालों में नहीं मिल पा रहा योजना का लाभ

आयुष्मान योजना के तहत कैशलेस इलाज की घोषणा तो सरकार ने कर दी है और कोविड-19 के इलाज को भी इसमें शामिल कर दिया है, ताकि मरीजों का कैशलेस इलाज हो सके, लेकिन इसका फायदा जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पा रहा। क्योंकि कई निजी अस्पतालों द्वारा इस योजना के तहत खुद को रजिस्टर ही नहीं करवाया गया। वहीं, जिन अस्पतालों में इस योजना का लाभ लिया जा सकता है, वहां पर मरीजों को पहले पूछ लिया जाता है कि क्या वो कैश इलाज करवाएंगे या कार्ड पर। इसके बाद बेड न होने की बात कह उन्हें टाल दिया जाता है।

रिपोर्ट देखने के बाद ही होगा निर्णय- मामले में निगमायुक्त सिंघल का कहना है कि अस्पताल भवन की नपती के निर्देश सम्बंधित को दिए गए है। फिलहाल रिपोर्ट बनाई जा रही है, रिपोर्ट देखने के बाद ही स्वीकृत नक्शे से मिलान कर आगे की कार्यवाही के लिए निर्णय लिया जाएगा।

एक और मरीज ने लगाया आरोप

मरीज महेंद्र कक्कड़ ने जानकारी देते हुए बताया कि वे कोरोना संक्रमण होने पर गत 31 मार्च को गुरुनानक अस्पताल में भर्ती हुए थे तथा 15 अप्रैल को डिस्चार्ज हुए। हॉस्पिटल ने उन्हें इलाज का बिल 194400 रुपए का दिया व 225000 रुपए का बिल दवाई का अलग से दिया। दोनों बिल की राशि जब उन्होंने चेक कराई तो पता चला कि अस्पताल ने प्रदेश सरकार द्वारा इलाज के लिए निर्धारित किए गए रेट से अधिक राशि ले ली है। सरकार द्वारा तय रेट के हिसाब से अस्पताल ने उनसे 31000 रुपए ज्यादा लिए है। जब वे बिल की राशि का हिसाब पूछने व शेष राशि लौटाने के लिए अस्पताल गए तो काउंटर पर बैठे जिम्मेदारों ने उनसे ठीक से बात तक नहीं की और हिसाब पूरा होने का कहकर लौटा दिया। कक्कड़ ने बताया कि सीएम हेल्पलाइन में इसकी शिकायत की है तथा उज्जैन कलेक्टर से भी मामले की जांच कराकर उक्त राशि दिलाने की मांग की है।

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