Advertisement

विक्रम विश्वविद्यालय के 100 से अधिक सर्टिफिकेट-डिप्लोमा कोर्स पर संकट

एक भी एडमिशन नहीं होने पर बंद करने के लिए मंथन!

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

Advertisement

उज्जैन।250 से अधिक कोर्स संचालित करने का दावा करने वाले नैक से प्राप्त बी डबल प्लस विक्रम विश्वविद्यालय के १०० से अधिक सर्टिफिकेट-डिप्लोमा कोर्स पर संकट छाया हुआ है। सात से अधिक बार प्रवेश की तारीख बढ़ाने के बाद भी कई कोर्स में एक भी एडमिशन नहीं होने से इन कोर्स को बंद करने के लिए मंथन किया जा रहा है।

एक साथ अनेक कोर्स के संचालन करने का दावा करने वाले विक्रम विश्वविद्यालय में अब कुछ कोर्स बाद करने की कवायद चल रही है। विवि प्रशासन का मानना है कि सर्टिफिकेट और डिप्लोमा पाठ्यक्रम पर अलग से कोई खर्च नहीं, लेकिन मुख्य पाठ्यक्रम में कुछ विषय ऐसे हैं, जिनमें एडमिशन नहीं होने से उनका खर्च भारी पड़ रहा है। ऐसे में वे कोर्स बंद कर सकते हैं, जिसमें छात्रों की रुचि नहीं है।

Advertisement

विवि अधिकारियों का दावा रहता है कि विश्वविद्यालय में 152 यूजी तथा 29 पीजी कोर्स संचालित हो रहे हैं। शेष डिप्लोमा व सर्टिफिकेट कोर्स हैं। बता दें कि विवि में कुल 253 पाठ्यक्रमों से छात्रों को शिक्षा दी जा रही है।

अभी कोई निणर्य नहीं

Advertisement

विक्रम विश्वविद्यालय की विभिन्न अध्ययनशालाओं के विभागाध्यक्षों की बैठक हुई। इसमें अध्ययनशालाओं में विभिन्न पाठ्यक्रमों में हुए प्रवेश और आगामी समय में होने वाली परीक्षाओं की तैयारियों को लेकर मंथन किया गया। इसमें छात्रों की कम संख्या और कई सर्टिफिकेट-डिप्लोमा कोर्स में प्रवेश की स्थिति शून्य होने पर चिंता जताई गई।

विचार के बाद कई कोर्स बंद करने पर सहमती बनी। जिन पाठ्यक्रमों में प्रवेश नहीं हुए हैं, उनमें विभागाध्यक्षों को यह तय करना होगा कि कौन से पाठ्यक्रम बंद होना चाहिए। इसकी सूची विभागाध्यक्ष देंगे। कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पांडेय, का कहना है कि बंद करने का निर्णय नहीं हुआ, लेकिन कुछ पाठ्यक्रम में प्रवेशित विद्यार्थियों की संख्या काफी कम है। सभी विभागाध्यक्षों से इस बारे में चर्चा हुई है। प्रवेश नहीं होने का कारण पूछा था। एडमिशन नहीं होने से कुछ कोर्स बंद करने पर विचार किया जा रहा है।

विवि को खर्च भारी पड़ रहा

गौरतलब है कि इस वर्ष समेत पिछले तीन वर्षों में विक्रम विश्वविद्यालय में 200 से अधिक नए कोर्स शुरू किए गए, जिनमें कुछ सेल्फ फाइनेंस तो कुछ पर विश्वविद्यालय को खर्च भारी पड़ रहा है। ऐसे में आर्थिक तंगहाली झेल रहे विवि को यह खर्च भारी पडऩे लगा है। कुछ दिनों पहले कुलपति सभी विभागाध्यक्षों की बैठक बुलाई थी।

Related Articles