दूध विक्रेता संघ ने सांसद, उच्च शिक्षा मंत्री, विधायक के साथ प्रशासन से की मांग
उज्जैन। दूध आवश्यक और कच्ची वस्तु है, इसलिए दूध की दुकानों का लॉकडाउन के समय वर्तमान से सुबह और शाम दो-दो घंटे बढ़ाया जाए। गांव से दूध आने के बाद दूध के बर्तन साफ करने में ही सुबह एक घंटा एवं शाम को घंटे से अधिक लग जाता है। इसलिए दूध की दुकान खोलने का समय सुबह 7 से 12 बजे तक एवं शाम को 6 से 10 बजे तक समय रखने का आदेश प्रदान करें।
उक्त मांग दूध विक्रेता संघ अध्यक्ष मोहन वासवानी ने सांसद अनिल फिरोजिया, उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव, विधायक पारस जैन के साथ प्रशासन से की है। मोहन वासवानी ने बताया कि दूध सुबह शाम को ही निकाला जाता है व दोनों समय गाय, भेस का दूध निकालाना अनिवार्य होता है अन्यथा जानवर बीमार पड़ जाते हैं एवं निकालने के बाद गांव में रखने हेतु कोई साधन फ्रिज वगैरह की सुविधा नहीं है। पहले ही दूध के उत्पादन की हालत बेहद खराब है। खली के भाव बहुत ज्यादा बढ़ गए हैं, इससे किसानों की हालत बहुत ही गंभीर है। दूध को सुबह शाम गांव से दूध लाने पर रोक न लगाएं एवं दूध की दुकान खोलने के लिए समय बढ़ाने का कष्ट करें। दूध बहुत ही आवश्यक वस्तु है जो बच्चे, बूढ़े सबके लिए बहुत ही आवश्यक है।
सेलून व्यवसायी बोले दुकानें खोलने की अनुमति दें
उज्जैन। जिला प्रशासन व जनप्रतिनिधियों द्वारा आपदा प्रबंधन समिति की बैठक में अचानक 19 अप्रैल तक लॉकडाउन के निर्णय से सभी सेलून व्यवसायी परेशान हैं। उज्जैन जेंट्स पार्लर एसोसिएशन के अध्यक्ष दिलीप सोलंकी व संस्थापक भरत भाटी, महेंद्र सेन दाऊ के मुताबिक उज्जैन में करीब 2000 सेलून व्यवसायी है और उनके यहां पर काम करने वाले कारीगरों की संख्या लगभग तीन गुना है। जिसमें से अधिकांश लोग रोज लाते है और रोज खाते हैं। ऐसे में केश शिल्पी भाई अचानक लगाए गए लॉकडाउन में किसी प्रकार के, राशन पानी की अग्रिम व्यवस्था नहीं कर पाए। जेंट्स पार्लर एसोसिएशन के संतोष भाटी, आशीष वर्मा, लखन वर्मा, जगदीश देवड़ा, जितेन्द्र बाला, शरद सेन, मुकेश झांसी, शंकर चौहान, महावीर सेन, प्रेम यादव, सोहन भाटी, भरत वर्मा, संजय सेन, शिव भाटी, सागर सेन आदि ने जिला प्रशासन व जनप्रतिनिधियों से मांग की कि अगर हो सके तो सुबह 11 से शाम 6 बजे तक पूरी सुरक्षा के साथ कोरोना गाइडलाइन के अनुसार दुकानें खोलने की अनुमति दें जिससे सभी केश शिल्पियों के परिवार का भरण पोषण हो सके।