गुप्त नवरात्रि 30 से, डोली में आएंगी मां दुर्गा

By AV News

दो गुप्त नवरात्रि के साथ सालभर में चार बार मनाया जाता है नवरात्रि पर्व

अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। माघ महीने की गुप्त नवरात्रि की शुरुआत 30 जनवरी से होने जा रही है। इस बार मां दुर्गा डोली/पालकी पर सवार होकर आएंगी। इसे शुभ नहीं माना जाता है। मान्यता है कि जब भी मां डोली या पालकी पर सवार होकर आती हैं तब देश में प्राकृतिक आपदा, आसमानी आफत या बीमारी का खतरा होता है। दरअसल, सनातन धर्म में नवरात्रि पर्व का विशेष महत्व है। सालभर में दो गुप्त नवरात्रि, चैत्र एवं शारदीय नवरात्रि सहित 4 नवरात्रि मनाई जाती है।

माघ और आषाढ़ माह में गुप्त नवरात्रि आती है। इसमें मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए 10 महाविद्याओं की पूजा की जाती है, जबकि चैत्र माह की नवरात्रि को चैत्र नवरात्रि एवं आश्विन माह में आने वाली नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि कहा जाता है। इस दौरान मां दुर्गा के ९ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। अंतिम दिन कन्याओं को भोजन कराकर मां का आशीर्वाद लिया जाता है।

कब से शुरू होगी गुप्त नवरात्रि
ज्योतिषाचार्य पं. अजय कृष्ण शंकर व्यास ने बताया माघ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि का आरंभ 29 जनवरी की शाम को होगा और अगले दिन 30 जनवरी को शाम को समापन होगा। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार 30 जनवरी से गुप्त नवरात्रि की शुरुआत होगी और 7 फरवरी को समापन होगा।

10 महाविद्याओं की साधना

प्रकट नवरात्रि सांसारिक सुखों, मनोकामनाओं और इच्छाओं को पूर्ण करने के लिए होती हैं, जबकि गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की गुप्त रूप से साधना करने पर सभी मनोकामनाएं पूर्ण होने के साथ मोक्ष की प्राप्ति होने की मान्यता है। गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की १० महाविद्याओं की साधना की जाती है। इनमें मां काली, तारा, सुंदरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला शामिल हैं।

इन चीजों का रखें ख्याल

गुप्त नवरात्रि के दौरान तामसिक भोजन जैसे लहसुन, प्याज, मांस-मदिरा जैसी चीजों का सेवन नहीं खाना चाहिए। गुप्त नवरात्रि में ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। मन में किसी के प्रति बुरे ख्याल न आने दें। जिन लोगों ने व्रत रखा है उन्हें देर तक सोना नहीं चाहिए और ना ही बाल और नाखून कटवाने चाहिए।

गुप्त साधना करते हैं साधक
गुप्त नवरात्रि के दौरान शैव साधनाएं, श्मशान साधनाएं, महाकाल साधनाएं, संहार करने वाले देवी-देवताओं के गण और गणिकाओं के अलावा भूत-पिशाच, डाकिनी, शाकिनी, बैताल आदि की साधना होती है। यह साधना बेहद गुप्त तरीके से संपन्न की जाती है इसलिए साधक श्मशान जाकर साधना करते हैं।

Share This Article