गोस्वामी तुलसीदास भारतीय संस्कृति और लोक-मंगल के महाकवि थे –विधायक श्री आशीष शेलार

By AV NEWS

गोस्वामी तुलसीदास भारतीय संस्कृति और लोक-मंगल के महाकवि थे –विधायक श्री आशीष शेलार

महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी द्वारा गोस्वामी तुलसीदास जयंती पर यादगार समारोह

मुंबई, 24 अगस्त। महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी, मुंबई और विलेपार्ले, मुंबई स्थित साठ्ये काॅलेज के संयुक्त तत्वावधान में बुधवार, 23 अगस्त, 2023 को गोस्वामी तुलसीदास जयंती के उपलक्ष्य में समारोह आयोजित किया गया, जो विभिन्न अर्थों में यादगार एवं प्रेरणादायक रहा।

मंच पर विराजमान विभिन्न अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन, माॅं सरस्वती की वंदना तथा महाराष्ट्र राज्य गीत की प्रस्तुति से समारोह का शुभारम्भ हुआ। मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए स्थानीय विधायक श्री आशीष शेलार ने गोस्वामी तुलसीदास को भारतीय संस्कृति का पुरोधा कवि बताया और कहा कि वे अपने समय की सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक परिस्थितियों के प्रति पूर्णत: सचेत थे। उन्होंने कहा कि सच्चे अर्थों में वे लोक-मंगल के महाकवि थे और यह सुखद संयोग है कि आज गोस्वामी तुलसीदास जी की जयंती पर भारत का चंद्रयान 3 चांद को चूमने के लिए तैयार है।

अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुधाकर मिश्र ने गोस्वामी जी की लोक- मर्यादा सम्बंधी चौपाइयों को उद्धृत किया तथा कहा कि वर्तमान समय में भी महाकवि की उक्तियाॅं उतनी ही प्रासंगिक एवं प्रेरणादायक हैं और उनकी रचनाऍं विघटनकारी स्थितियों से बाहर निकाल कर रचनात्मक दृष्टि देने का महत्वपूर्ण कार्य करती हैं।बीज वक्तव्य देते हुए सुप्रसिद्ध चिंतक श्री वीरेंद्र याग्निक ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास को जानना है, तो गिरमिटिया देशों में जाकर देखना चाहिये कि कैसे गरीब मजदूरों ने तुलसीदास कृत श्रीरामचरितमानस और हनुमान चालीसा के सहारे अपनी जीवनी-शक्ति बचाये रखी।

आज वही लोग उन देशों के अहम प्रशासकीय दायित्वों का समुचित निर्वाह कर रहे हैं। उनका कहना था कि तुलसीदास ‌ऐसे कवि‌ हैं, जो स्वाभिमान, स्वधर्म और स्वसंस्कृति के संरक्षण का मार्ग प्रशस्त करते हैं। विशेष अतिथि श्री अमरजीत मिश्र ने कहा कि जब विज्ञान को जानने- समझने का प्रयास विदेशी कर रहे थे, ऐसे समय में गोस्वामी तुलसीदास ने ‘राम रसायन‌ तुम्हरे पासा ‘ की अवधारणा को रेखांकित करते हुए उसी में जीवन के समस्त सुखों को देखने की दृष्टि दी तथा अभाव और संघर्षों से सफलता एवं संतुष्टि की सच्ची राह दिखाई।

महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी की उपाध्यक्षा ‌श्रीमती मंजू लोढ़ा ने गोस्वामी तुलसीदास के भक्ति दर्शन को जीवन का अमूल्य मंत्र मानते हुए कहा कि भक्ति ही वह शक्ति है, जिसके माध्यम से मानव जीवन सार्थक हो सकता है।प्रास्ताविकी प्रस्तुत करते हुए महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी के कार्याध्यक्ष डॉ. शीतला प्रसाद दुबे ने गोस्वामी तुलसीदास जयंती से सम्बंधित समारोह का उद्देश्य बताते हुए कहा कि अकादमी विषय केंद्रित कार्यक्रमों के साथ ही रचनात्मक ऊर्जा प्रदान करने वाले संतों, कवियों तथा सामाजिक सरोकार के विद्वानों से जुड़े कार्यक्रम पूरे महाराष्ट्र राज्य में आयोजित करने के प्रति हमेशा प्रतिबद्ध रही है और भविष्य में भी यह गरिमापूर्ण श्रृंखला निरंतर जारी रहेगी। काॅलेज के प्राचार्य श्री माधव राजवाड़े ने प्रारम्भ में सभी उपस्थित अतिथियों का स्वागत किया। हिन्दी विभागाध्यक्ष श्री प्रदीप सिंह ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की।

इस अवसर पर अकादमी के सदस्य श्री मार्कंडेय त्रिपाठी, श्री श्याम शर्मा और श्री गजानन महतपुरकर के अलावा श्री रवीन्द्र कात्यायन, श्री अवधेश राय, सुश्री रोशनी किरण, सुश्री संध्या गर्जे, श्री संतोष दीक्षित, श्री राकेश सिंह और श्री रवि दुबे सहित विभिन्न गणमान्य लोग और बड़ी संख्या में हिंदी प्रेमी एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।

अंत में महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी की ओर से सदस्य श्री श्याम शर्मा ने सभी का आभार प्रकट किया। संयोजक श्री महात्मा पांडेय के कुशल संचालन में राष्ट्रगान के साथ समारोह सम्पन्न हुआ।

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