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चुनावी तरकश… पहले ही समझा दें….

विधानसभा चुनाव त्योहारी सीजन है। कार्यक्रम में नेताजी को बुलाया तो आयोजकों की तो दिक्कत बढ़ेगी, उम्मीदवार को भी आचार संहिता के उल्लंघन का दोष सिद्ध होने पर आयोजन का खर्च वहन करना होगा। यह चुनावी व्यय में जोड़ दिया जाएगा।

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ऐसे में अधिकारियों ने अप्रत्यक्ष तौर पर तय किया है कि अनुमति के लिए आने वाले आयोजकों को पहले ही समझा दिया जाए कि आचार संहिता के दौरान नेताओं को मंच साझा करने के लिए नहीं बुलाएं। कार्यक्रम में किसी नेता ने वोट मांगने, लोगों को लुभाने की बात की या माइक पर संबोधन भी दिया तो उम्मीदवार के साथ आपको (आयोजक) भी दिक्कत हो जाएगी। वह भी कार्रवाई के दायरे में आ सकते हैं।

रतलाम, चुनाव और कलेक्टर से नाता

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भारत निर्वाचन आयोग के निर्देश के बाद मप्र सामान्य प्रशासन विभाग ने रतलाम कलेक्टर का भोपाल तबादला कर दिया है। चुनाव प्रक्रिया के मध्य कलेक्टर को हटाने का यह मसला संभाग में दूसरी मर्तबा हुआ है। यह इत्तेफाक है कि ऐसा दोनों बार रतलाम जिले में हुआ है,जब चुनाव प्रक्रिया के बीच आयोग के जिला निर्वाचन अधिकारी एवं कलेक्टर का तबादला करवा दिया है।

इसके पहले सांसद प्रेमचंद गुड्डू की शिकायत के चलते कलेक्टर के तौर पर जेएन मालपानी को हटाया गया था। चुनाव प्रक्रिया के दौरान निर्वाचन आयोग द्वारा कर्तव्य में लापरवाही और बगैर प्रमाणित शिकायत के किसी भी अधिकारी को हटाने का नहीं कहा जाता है। बता दें कि चुनाव में अधिकारियों की सेवाएं आयोग की प्रतिनियुक्ति पर रहती है। हाल में प्रदेश सरकार द्वारा राजपत्र प्रकाशित कर अवगत कराया है कि डीजीपी और सभी पुलिस रेंज के आईजी व उनके अधीनस्थ पुलिस अधिकारी-कर्मचारियों की सेवा निर्वाचन आयोग को प्रतिनियुक्ति पर दी गई है।

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