त्रिवेणी संगम पर हजारों श्रद्धालु करेंगे पर्व स्नान, प्रशासन ने तैयारियां शुरू की

By AV NEWS

21 जनवरी को मौनी और शनिश्चरी अमावस्या का विशेष संयोग

उज्जैन। माघ मास की मौनी अमावस्या का विशेष महत्व है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान से पुण्य की प्राप्ति होती है। इस बार 21 जनवरी को मौनी अमावस्या शनिवार को आने से शनिश्चरी का संयोग भी बन रहा है। मोक्षदायिनी शिप्रा के त्रिवेणी संगम पर हजारों श्रद्धालु स्नान के लिए आएंगे। नवग्रह शनि मंदिर में दर्शन करेंगे। प्रशासन ने तैयारियां शुरू कर दी है। मंदिर में दर्शन और स्नान के लिए दो अलग-अलग कतार लगाई जाएगी।

कड़ाके की ठंड के बीच पर्व स्नान होने से प्रशासन द्वारा इस बार अलाव के भी इंतजाम किए गए हैं। त्रिवेणी घाट पर हमेशा की तरह फव्वारे लगाए जा रहे हैं। भीड़ को देखते हुए खास इंतजाम किए गए हैं। घाट और मंदिर परिसर में बेरिकेडिंग की जा रही हेै। सीसीटीवी कैमरे भी लगाए हैं। महिलाओं के कपड़े बदलने के लिए शेड का इंतजाम भी विशेष रूप से किया गया है।

कुछ दिनों पूर्व कलेक्टर आशीषसिंह और एसपी सत्येंद्रकुमार शुक्ला ने मंदिर और घाट का निरीक्षण भी किया था और आवश्यक निर्देश दिए थे। अनुमान है कि एक लाख से अधिक श्रद्धालु स्नान के लिए आएंगे। इसे देखते हुए सुरक्षा बल भी तैनात किया जाएगा और वाहन स्टैंड सहित टे्रफिक व्यवस्था के माकूल इंतजाम किए जाएंगे। इधर मौनी अमास्या होने से त्रिवेणी संगम के साथ ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु रामघाट सहित अन्य घाटों पर भी स्नान के लिए पहुंचेंगेे।

एक दिन पहले आ जाते है श्रद्धालु

शनिश्चरी अमावस्या पर स्नान के लिए बड़ी संख्या में ग्रामीण अंचल से श्रद्धालु आते हैं। ये एक दिन पूर्व ही धार्मिक नगरी में पहुंचते हैं। रात में शिप्रा किनारे ही भजन-कीर्तन करते हैं और अलसुबह स्नान करते हैं। प्रशासन द्वारा ठंड से बचाव के लिए अलाव जलाए जाएंगे ताकि ठंड से बचाव हो सके

कान्ह पर बनाया मिट्टी से बांध…

कान्ह के प्रदूषित पानी को शिप्रा में मिलने से रोकने के लिए पीली मिट्टी का बांध बनाया गया है। इस बार इसका परीक्षण किया गया है ताकि मिट्टी धंसे नहीं। पहले भी इस तरह का बांध बनाया गया था और मिट्टी खिसकने से कान्ह का प्रदूषित पानी शिप्रा में मिल गया था। इधर नर्मदा का पानी संक्रांति से पूर्व छोड़ा गया था जो रामघाट तक पहुंच गया है।

Share This Article