पैरेंट्स बच्चों में विकसित करें निर्णय लेने की क्षमता…

By AV NEWS

कोरोना संक्रमण काल में बच्चों के स्कूल बंद होने से उनकी स्कूल की इनडोर और आउटडोर एक्टिविटी पूरी तरह से बंद हो गई है। इसका असर बच्चों के मस्तिष्क पर पड़ा है। नेतृत्व कौशल बच्चे के जरिए बच्चों में आत्मविश्वास और निर्णय लेने की क्षमता का विकास होता है। इस गुण के कारण बच्चे को लक्ष्य प्राप्त करने में मुश्किल नहीं होती।

सभी अभिभावकों को चाहिए कि वो अपने बच्चों के अंदर नेतृत्व क्षमता का विकास करें। जिससे वह घर के बाहर हर चुनौतियों का सामना कर सके। जब उसमें आत्मविश्वास होगा तो अपने आप ही नेतृत्व कौशल विकसित होगा। इससे वह न केवल अपने प्रति बल्कि दूसरों के प्रति भी अपनी नैतिक जिम्मेदारी को बेहतर तरीके से निभा सकेगा। इससे ही उसमें लीडरशिप क्वालिटी भी विकसित होगी।

बताएं हम हमेशा उसके साथ हैं…
शोध से यह बात सामने आई है कि मानव मस्तिष्क का 90 प्रतिशत भाग शुरुआती वर्षों में ही विकसित हो जाता है। यह ऐसा समय है जब बच्चे में आत्मविश्वास और नेतृत्व कौशल विकसित होता है। इसकी शुरुआत होती है उसके अपने पैरेंट्स से। यदि बच्चे को इस बात का अहसास हो कि कुछ भी हो जाए उसके पैरेंट्स उसे साथ खड़े हैं। इससे बच्चे के भीतर एक प्रकार का आत्मविश्वास पैदा होता है। वे सुरक्षित महसूस करते हैं और जब भी वे रोते हैं, तो उन्हें लगता है, कि कोई न कोई, उन्हें सम्भालने के लिए, उनके आस-पास है।

बढ़ता है आत्मविश्वास
बच्चों में कम उम्र से ही आत्मविश्वास विकसित होने लगता है। जैसे-जैसे वे बढ़ते हैं, वे अलग-अलग आदतें सीखते हैं और कुछ नए कौशल विकसित करते हैं, जैसे कि दोस्त बनाना, संगीत, कला, खेल आदि जैसे विभिन्न कौशल सीखना। जब वे कुछ करने में सक्षम महसूस करते हैं, तो उनमें आत्मविश्वास की भावना अपने आप विकसित होती है। आत्मविश्वास की उपस्थिति उनके आत्म-सम्मान को बढ़ाती है और उन्हें विभिन्न चीजों को संभालने में सक्षम बनाती है। इसलिए बच्चों में आत्मविश्वास विकसित करना बहुत महत्वपूर्ण है।

डेवलप होगी लीडरशिप स्किल
बच्चों में लीडरशिप स्किल डेवलप करना काफी जरूरी होता है। स्कूलों में अक्सर देखा जाता है कि जिस बच्चे के अंदर आत्मविश्वास भरपूर होता है उसमें ही लीडरशिप क्वालिटी उभरकर सामने आती है। वह दूसरों से पहले अपना काम कर लेता है। स्कूल में वाद-विवाद खेल-कूद और अन्य प्रतियोगिताओं में वो अव्वल रहता है।

1. उसके बेहतर काम की प्रशंसा करे, असफल होने पर डांटने से बचें, अधिक प्रयास करने के लिए प्रेरित करें। उसकी ज्यादा तारीफ न करें, क्योंकि इससे अति-आत्मविश्वास हो सकता है।

2. बच्चे दूसरों से सीखते हैं और उनका पहला स्कूल घर होता है, इसलिए जब वे आपको काम करते हुए देखते हैं तो इससे वे प्ररित होते हैं।

3. बच्चे को छोटी-छोटी जिम्मेदारी दें। जैसे खिलौने साफ करने, उसकी किताबों को शेल्फ में सजाने के लिए कहें। जब उसे जिम्मेदारी का काम देते हैं तो उसमें ऊर्जा का प्रवाह होता है।

4. निर्णय लेने की क्षमता का विकास छोटी छोटी बातों से होता है। मौसम के अनुसार क्या खाना या पहनना चाहिए, उन्हें खुद तय करने दें। कम से कम उन्हें अपनी पसंद-नापसंद की जिम्मेदारी लेने दें।

5. हमेशा सब कुछ बना-बनाया न परोसें, बल्कि उन्हें प्रयास करने दें। स्कूल के लिए खुद तैयार होने दें, बैग व्यवस्थित करने, नाश्ता करने दें, आदि। ये चीजें जब वो खुद करेंगे तो उनमें विश्वास पैदा होगा।

Share This Article