सनातन धर्म में पौष पूर्णिमा का काफी महत्व है. पौष मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को पौष पूर्णिमा कहा जाता है. पौष पूर्णिमा स्नान, दान और तर्पण के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण कही गई है. मान्यता है कि इस दिन भगवान सत्यनारायण के लिए व्रत किया जाता है और पवित्र नदियों में स्नान करके तर्पण किया जाता है. इस दिन जातक भगवान सत्यनारायण की पूजा करके उनकी व्रत कथा सुनते हैं जिससे अक्षय फल की प्राप्ति होती है. इस दिन प्रदोष काल में मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है और चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाता है.
हिंदू पंचांग के अनुसार साल 2025 की पहली पूर्णिमा यानी पौष पूर्णिमा 13 जनवरी को है। इस दिन की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 13 जनवरी के दिन सुबह 5 बजकर 3 मिनट से शुरू होगी और इसका समापन 14 जनवरी को सुबह 3 बजकर 56 मिनट पर होगा।
पौष पूर्णिमा का महत्व- शास्त्रों में पौष पूर्णिमा के व्रत का खास महत्व है। इस तिथि पर गंगा स्नान और दान किया जाता है। पूर्णिमा स्नान दान करने से साधक को उत्तम फल की प्राप्ति होगी। पूर्णिमा पर माता लक्ष्मी की पूजा करने से मां लक्ष्मी की कृपा सदा बनी रहती है। इस दिन सूर्यदेव के साथ चंद्रदेव की भी पूजा करने से चंद्रदोष से मुक्ति मिलती है
पौष पूर्णिमा पूजा विधि
पौष पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करें, यदि नदी में स्नान नहीं कर सकते तो घर पर ही पानी में गंगाजल डालकर स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें.एक लकड़ी की चौकी या पाटे पर लाल कपड़ा बिछाएं और गंगाजल से शुद्ध करें. फिर चौकी के ऊपर मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें और लाल रंग की चुनरी पहनाएं.
अब लाल फूल, इत्र, नैवेद्य, धूप-दीप, सुपारी आदि से मां लक्ष्मी का विधिवत पूजन करें. इसके बाद मां लक्ष्मी के समक्ष लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें.
पूजन संपन्न होने के बाद आरती करें और शाम के समय फिर मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु का पूजन करें और चंद्रमा को अर्घ्य दें.
मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए उपाय
खीर का भोग
ऐसा माना जाता है की मां लक्ष्मी का अवतरण पूर्णिमा के दिन हुआ था, इसलिए यह दिन उनके लिए बेहद खास है। इसलिए भक्तों को मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए इस दिन का मौका नहीं गवाना चाहिए। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करें और भोग में खीर जरूर बनाएं। पूजा के बाद उस खीर के प्रसाद को छोटी-छोटी कन्याओं में वितरित करें।
मध्यरात्रि में जलाएं घी का दीपक
पौष पूर्णिमा के दिन मध्यरात्रि के समय घी का दीपक जलाना बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन मध्यरात्रि में घी का दीपक जलाएं और लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ करें, ऐसा करने से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और उन्नति के मार्ग खुलते हैं। घी का दीपक शुद्धता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है और लक्ष्मी स्तोत्र के पाठ से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
पीपल के पेड़ की पूजा
पौष पूर्णिमा के दिन पीपल के वृक्ष में जल चढ़ाना भी बहुत अच्छा माना जाता है। इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करने से घर में सुख शांति का वास होता है इसके अलावा शादीशुदा जिंदगी में खुशहाली आती है। पीपल को भगवान विष्णु का स्वरूप माना जाता है, और इस दिन पीपल की पूजा से पारिवारिक जीवन में प्रेम बढ़ता है।