श्रीसिद्धचक्र महामंडल विधान में 512 अघ्र्य समर्पित, कल विश्व शांति महायज्ञ होगा
उज्जैन। भगवान (अरिहंत) के चरणों में नमस्कार करने से आनंद मिलता है। चरण छूने, हाथ जोडऩे से अहंकार दूर हो जाता है। हमारी संस्कृति झुकाना सिखाती है। पैर छूने का धोक लगाने का फायदा है, हमने बचपन में देखा है छोटे बच्चे बड़ों को धोक देते थे तो बड़े उनको पैसे दे जाते है।
भगवान को नमन करने का फल मिलता है। साक्षात फल विनय मोक्ष का द्वार है। अहंकार अंधकार है। झुकना सीखो, अकडऩा नहीं। झुकेंगे तभी सुख आयेगा। बार-बार हाथ जोड़ता है, वही नेता बनता है। आज जैसे ही भक्तों ने जिनवाणी दी, मैंने झुककर नमस्कार किया। गौ माता को, धरती को प्रणाम करते है जिसने हमें जीवन दिया।
नितिन झांझरी विधानाचार्य के निर्देशन और जैन समाज के सहयोग से श्री शांतिनाथ दि. जैन मंदिर लक्ष्मीनगर में उत्साह, उमंग के साथ 1 से 9 नवंबर तक श्रीसिद्ध चक्रमहामंडल की श्रृंखला सुबह 6.30 से दोपहर 1 बजे तक चल रही है। सोमवार को 7वें दिन श्री सिद्धचक्रमहामंडल पर कुल 512 अघ्र्य चढ़ाकर श्री सिद्ध भगवान की आराधना की गई।