मूल विभाग से मंत्रालय में काम करने का रोग और CM का कठोर कदम

अगर व्यवस्था में सुधार लाना है तो कठोर निर्णय लेना पड़ते हैं। किसी भी शहर में सुंदर बगीचा तभी दिखाई देगा, जब माली वहां की गंदगी साफ करता रहेगा और कांट छांट करता रहेगा। अन्यथा, जंगल ही दिखाई देगा। जहां माली नहीं वहां बगीचा नहीं हो सकता। यही सिद्धांत शासन और प्रशासन पर भी लागू होता है। अगर कठोर निर्णय न लिए जाएं तो अव्यवस्था और विसंगतियां नासूर बन सकती हैं।

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मध्यप्रदेश में इसका एक उदाहरण देखने को मिला है। मूल विभाग की जगह वर्षों से मंत्रियों के स्टाफ में जमे पीए (निज सहायक), पीएस (निज सचिव) और एसए (विशेष सहायक) की सिफारिश के लिए भेजी गई सिफारिशी नोटशीट को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने लौटाकर एक सख्त और सराहनीय कदम उठाया है, क्योंकि ये सिफारिशें एक नहीं 15 मंत्रियों ने की थीं और उनको लौटाना कोई आसान निर्णय नहीं था। अपने ही मंत्रियों को नाखुश कर व्यवस्था के पक्ष में काम करना मुश्किल होता है।

इसलिए भी इस कदम की सराहना की जाना चाहिए। आश्चर्य की बात यह है कि मंत्रियों के स्टाफ में 30 साल तक कोई जमा रहे और किसी की नजऱ न पड़े। जाहिर है मंत्रियों के यहां जमे रहने से स्वार्थ की पूर्ति होती होगी, अन्यथा क्यों अपने मूल विभाग को छोड़कर मंत्री के यहां काम करने के लिए राज़ी होगा? पहली बात तो यह कि इस तरह की सिफारिश मुख्यमंत्री तक जाना ही नहीं चाहिए। अधिकारियों और जिम्मेदारों को ही इस पर अपने स्वस्थ विवेक से निर्णय लेना चाहिए, किंतु वे भी यह साहस नहीं कर सके, ऐसा क्यों? संदेह हो सकता है कि वे भी स्टाफ के किसी प्रभाव में हों। बहरहाल, नए लोगों को सीएम के इस फैसले से काम करने का मौका मिलेगा और कुछ नए काम हो सकेंगे।

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इस बात पर भी चिंतन होना चाहिए कि मंत्रालयों के लिए अन्य विभागों से स्टाफ लेने की जगह अलग से स्टाफ पदस्थ किए जाएं ताकि मूल विभागों के काम ही प्रभावित न हों। मंत्रालयों के लिए पृथक स्टाफ की नियुक्ति होने से वे जिम्मेदार भी होंगे और बेहतर काम भी हो सकेंगे।

अभी यह होता है कि मूल विभाग से स्वयं को कर्मचारी मंत्रालय में अटैच करा लेते हैं। इससे अन्य कर्मचारियों में निराशा आती है और विभाग के काम प्रभावित होते हैं। मंत्रियों के यहां काम करने से अधिकारियों और कर्मचारियों का दबदबा बड़ जाता है और वे भ्रष्टाचार जैसी बीमारियों को बढ़ाने में सहायक हो सकते हैं, क्योंकि संभव है मूल विभाग से मंत्रालय जाने के लिए प्रभाव का उपयोग किया जाता हो। इसलिए सरकार के मुखिया ने उचित कदम उठाया है।

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