शालिनी की दु:खद मृत्यु और बिगड़ती ट्रैफिक व्यवस्था…

By AV NEWS

शालिनी की दु:खद मृत्यु और बिगड़ती ट्रैफिक व्यवस्था…

@सुधीर नागर

बीएसएनएल दफ्तर से घर जाने के लिए निकलीं इंदिरानगर निवासी शालिनी शर्मा पति अभिषेक शर्मा की दु:खद मृत्यु के बाद भी जिम्मेदार जनप्रतिनिधि और अफसर बेबस हैं, खामोश हैं यह सोचकर कि हम क्या कर सकते हैं, तो इससे बढ़कर लज्जाजनक क्या हो सकता है? अफसरों को भी अपनी पत्नियों के साथ स्कूटर पर शहर में घूमना चाहिए, तब पता चलेगा कि आम आदमी इन दिनों शहर में कैसे हर कदम पर मौत से जूझ रहा। इससे तो मौत के कुएं में वाहन चलाना आसान! शालिनी घर जाने के लिए चौराहा विपरीत दिशा से क्रॉस कर रही थीं और दुर्भाग्यवश वे घर जाने के अरमां के साथ इस दुनिया से विदा हो गईं।

सड़कों पर लिखा होता है, दुर्घटना से देर भली। इसके बाद भी प्रमुख चौराहों पर न वाहनों की रफ्तार धीमी होती है और ना लोगों का रॉन्ग साईड से आना बंद हो रहा है। फ्रीगंज ब्रिज पर लोग टॉवर की ओर उतरते समय बेरिकेड्स लगे होने के बाद भी उलटी दिशा से ही जाने में अपनी शान समझते हैं।

बेरिकेड्स बढ़ते-बढ़ते आधे पुल की चढ़ाई कर चुके लेकिन न लोग मान रहे न पुलिस ऐसे लोगों पर तगड़ा जुर्माना लगाने में अपनी वर्दी की ताकत दिखा पा रही। जनप्रतिनिधि भी इस ब्रिज पर अपने जन्मदिन के बड़े फ्लेक्स लगाकर खुश हो जाते हैं, लेकिन वर्दी वालों के सामने बौने नजऱ आते हैं। जीरो प्वाइंट ब्रिज पर फ्रीगंज साइड में दोनों तरफ रास्ते हैं और यहां भी दुर्घटना का खतरा मंडरा रहा, लेकिन जनप्रतिनिधि और अधिकारी इसे देख नहीं पाते। ऐसे कई खतरनाक पॉइंट शहर में दिख जाएंगे, अगर कोई जिम्मेदार देखना चाहे।

दिवंगत शालिनी शर्मा की जिंदगी भी बच सकती थी, अगर वहां स्पीड ब्रेकर होता। इंदिरानगर चौराहे पर जैसे बनाए गए हैं। दरअसल, होता यह है कि चौराहे का सिग्नल ग्रीन से रेड होने के चक्कर में लोग गाडिय़ां तेजी से निकालते हैं। इसी कारण दुर्घटना हो जाती है कभी टल जाती है और कभी नहीं।

सबसे खतरनाक वह स्थिति होती है, जब रेड सिग्नल को वे लोग तोड़ते हैं जिनकी गाड़ी पर नंबर प्लेट नहीं होती या गलत नंबर होते। उन्हें चालान का डर नहीं होता और रेड सिग्नल में भी बड़ी शान से सुरक्षा सिस्टम को चिढ़ाते से निकल जाते हैं। इनको कौन रोके? ऐसा कोई सीसीटीवी कैमरा नहीं बना और पुलिस और जनप्रतिनिधियों की रगों में स्वतंत्रता सेनानियों जैसा जज्बा… विपक्ष के पास भी ऐसी समस्याओं के लिए धरना प्रदर्शन करने का वक्त नहीं?

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