सात दिवसीय पद्मभूषण डॉ. सुमन स्मृति अभा सद्भावना व्याख्यानमाला का समापन

By AV NEWS

भारतीय जीवन मूल्य ही सभी संघर्षों को दूर कर सकते हैं-डॉ. चतुर्वेदी

उज्जैन। मानव जीवन बहुत ही संघर्षों से भरा हुआ है, किंतु भारतीय जीवन मूल्यों में वह शक्ति है जो इन संघर्षों को दूर करती है। हमें भारतीय जीवन मूल्यों की विशेषताओं को अपने जीवन में अपनाना होगा। महात्मा गांधी का संपूर्ण जीवन चरित्र ही भारतीय जीवन मूल्यों का परिचय हैं। गांधी के लिए धर्म का अर्थ था जीवन जीने की शैली। हमारे कई दर्शन-ग्रंथों में उल्लेखित जीवन मूल्यों की एक लंबी सूची बनाई जा सकती है। गांधी का मानना था कि जो व्यक्ति सिर्फ बोलता है किंतु उसे अपने आचरण में नहीं लाता है, वह पशु के समान है।

उक्त विचार कालिदास अकादमी के पूर्व निदेशक डॉ. कृष्णकांत चतुर्वेदी ने भारतीय ज्ञानपीठ में आयोजित पद्मभूषण डॉ. शिवमंगल सिंह सुमन स्मृति बीसवीं अभा सद्भावना व्याख्यानमाला के समापन दिवस पर प्रमुख वक्ता के रूप में व्यक्त किए। भारतीय जीवन मूल्य और महात्मा गांधी विषय पर अपनी बात रखते हुए डॉ. चतुर्वेदी ने कहा कि आज जिस प्रकार सभी ओर भ्रष्टाचार का बोलबाला है, उससे यही लगता है कि हमारी आत्मा में ही पवित्रता का अभाव है।

इन प्रेरक व्याख्यानों के साथ सद्भावना व्याख्यानमाला का समापन हुआ। आरंभ में संस्थाध्यक्ष श्रीकृष्ण मंगलसिंह कुलश्रेष्ठ ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और डॉ. शिवमंगल सिंह सुमन की तस्वीर पर माल्यार्पण कर सम्मुख दीप प्रज्वलित किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. सीमा दुबे ने किया। शीला वैद्य, डॉ. प्रदीप सिंह पवार, रमेश सुभागा, मोहन नागर, रशीदउद्दीन, शेख नियाज मोहम्मद, विष्णु कुमार सुनहरे, कौशल्या सुनहरे, खालिक मंसूरी, प्रो. एनके गर्ग, श्याम सिंह सिकरवार आदि उपस्थित थे।

मानव जाति के लिए जो भी शुभ वही नैतिक मूल्य

समारोह की अध्यक्षता करते हुए चिंतक, विचारक डॉ. अशोक कुमार भार्गव ने कहा कि गांधी एक युग दृष्टा थे। स्थाई शांति और वैश्विक शांति का हल गांधी के विचारों में ही समाहित है। मानव जाति के लिए जो भी शुभ है वही नैतिक मूल्य है और इनमें समयानुसार परिवर्तन होता है।

गांधी बहुत ही निष्ठा के साथ जनभावना का सम्मान करते थे। वह जनसेवक के रूप में एक बहुत बड़ा उदाहरण है। गांधी में लोगों के हृदय परिवर्तन करने की क्षमता थी। गांधी का मानना था कि अहिंसा की शक्ति हिंसा से कहीं अधिक है। गांधी गांव को भारत की आत्मा मानते थे और उनके विकास की बात करते थे।

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