आचार्य विद्यासागर पीठ को विवि कार्य परिषद की मंजूरी

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भवन निर्माण के लिए 1 एकड़ जमीन दी जाएगी

उज्जैन।दिगंबर जैन समाज के संत आचार्य विद्यासागर के नाम पर विक्रम विश्वविद्यालय में पीठ खुलने जा रही है। विक्रम विश्वविद्यालय कार्य परिषद ने पीठ स्थापना के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की हैं। आचार्य विद्यासागर पीठ प्रस्ताव अखिल भारतीय जैन ज्ञानोदय शिक्षा एवं समाज कल्याण समिति की ओर से प्राप्त हुआ था। विक्रम विश्वविद्यालय कार्य परिषद की बैठक में इस प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की हैं। पीठ की स्थापना के लिए प्रतिनिधिमंडल उच्च शिक्षा मंत्री और कुलपति से मिला था।

कुलपति ने प्रस्ताव को शीघ्र अमलीजामा पहनाने के लिए देवास के नेमावर में विराजित विद्यासागरजी महाराज से मुलाकात भी की थी। पीठ की स्थापना, विवि कैम्पस में लाइब्रेरी के पास होगी। भवन निर्माण के लिए समिति को 1 एकड़ जमीन दी जाएगी। पीठ की स्थापना पर 1 करोड़ रुपये से अधिक खर्च होने का अनुमान है। ये समस्त खर्च दिगंबर जैन समाज वहन करेगा। पीठ का संचालन विश्वविद्यालय करेगा। इसी सत्र से एमपीईएस पाठ्यक्रम को स्वीकृति कार्य परिषद ने विक्रम विवि द्वारा बनाई आईटी, जेंडर, पर्यावरण नीति के साथ इसी सत्र से एमपीईएस यानी मास्टर आफ फिजिकल एजुकेशन एंड साइंस पाठ्यक्रम शुरू करन को मंजूरी दे दी। कहा कि विवि सांस्कृतिक नीति भी बना रहा है, जिसे अगली बैठक में मंजूरी के लिए रखा जाएगा। परिषद ने 78 कर्मचारियों को नियमित करने, 4 तकनीकी कर्मचारियों को स्थायी करने, राष्ट्रीय शिक्षा नीति को इस साल से लागू करने का प्रस्ताव भी पास किया। विवि में इंटीग्रेटेड यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट सिस्टम स्थापित करने पर भी चर्चा हुई।

यह होगा पीठ में आचार्य विद्यासागर पीठ ( रिसर्च सेंटर ) एक ऐसी पीठ जहां जैन शिक्षा, शोध और युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए काम होगा। जैन दर्शन क्या है, साधु-संतों की दिनचार्य कैसी होती है, धर्म का उद्गम कैसे हुआ, जैन धर्म के सिद्धांत क्या हैं, जैसे सवालों का जवाब मिलेगा। यहां विद्यार्थी गोबर से दीये बनाना, सूत कातने, कपड़ा बनाने, आयुर्वेद औषधियों की जानकारी भी प्राप्त कर सकेंगे। पीठ का संचालन विश्वविद्यालय ही करेगा। बता दें कि, विद्यासागरजी महाराज जैन समाज के आचार्य संत हैं। उनका जन्म स्थान कर्नाटक का सरलगा गांव है। उन्होंने आचार्य ज्ञानसागर महाराज से 16 वर्ष की उम्र में दीक्षा ली थी। वे 18 वर्ष की उम्र में आचार्य बन गए थे। बुंदेलखंड उनकी कर्म भूमि रही है।आचार्य विद्यासागर महाराज पर वर्तमान में देशभर में तीन हजार युवा पीएचडी कर रहे हैं। एक दशक में 44 युवा पीएचडी कर चुके हैं।

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