उज्जैन:डेंगू का डंक…डॉक्टर से लेकर भगवान की शरण में पहुंच रहे लोग

टायफाइड, डेंगू, मलेरिया झड़वाकर ताबिज बंधवाने धर्मस्थलों पर लोगों की कतार
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उज्जैन।कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर की संभावनाओं के बीच शहर में डेंगू, मलेरिया बीमारी ने पैर पसार दिये हैं। इससे सभी उम्र वर्ग के लोग बीमार हो रहे हैं, लेकिन बच्चों की संख्या अधिक है। खास बात यह कि सरकारी और प्रायवेट अस्पतालों के वार्ड फुल हो चुके हैं। उपचार करा रहे मरीज और उनके परिजन धर्म, आस्था के चलते भगवान की शरण में भी पहुंच रहे हैं। शहर के प्राचीन खड़े हनुमान मंदिर की स्थिति यह है कि शारीरिक कष्ट बुखार या अन्य बीमारी से ग्रसित लोग बड़ी संख्या में झड़वाने व ताबिज बनवाने आ रहे हैं। मंदिर के पुजारी का कहना है कि मंदिर आ रहे लोगों में बच्चों की संख्या 80 प्रतिशत से अधिक है।
छत्री चौक : खड़े हनुमान मंदिर रोज पहुंच रहे हैं 400 लोग, इनमें 80′ बच्चे
खड़े हनुमान मंदिर के पुजारी पं. महेश बैरागी ने बताया कि सामान्य दिनों में लोग सीमित संख्या में ही झड़वाने आते थे लेकिन पिछले 20 दिनों से अचानक लोगों की संख्या तीन गुना अधिक हो गई है। पहले प्रतिदिन 100 लोग आते थे लेकिन वर्तमान में 300 से 400 लोग आ रहे हैं इनमें 80 प्रतिशत संख्या बच्चों की होती है। फिलहाल टायफायड, डेंगू, मलेरिया व अन्य बीमारियों से ग्रस्त लोग धर्म और आस्था के चलते झड़वाने आते हैं। भगवान के आशीर्वाद और सही उपचार मिलने से लोग ठीक भी हो जाते हैं। कई लोग ताबिज भी बनवाते हैं। उन्हें हनुमानजी का आशीर्वाद प्राप्त कर मंत्रोच्चार के बाद बीमारियों से बचने के लिये ताबिज भी दिये जाते हैं साथ ही डॉक्टर से उपचार कराने की सलाह भी दी जाती है।
मंगल और शनिवार को लगती है लाईन
वैसे तो लोग सप्ताह के सातों दिन हनुमानजी की भक्ति व आराधना कर मंदिर जाते हैं, लेकिन शनिवार और मंगलवार के दिन हनुमानजी के माने जाते हैं और मान्यताओं के अनुसार इन दिनों में भगवान के दर्शन, पूजन का विशेष महत्व होता है। पं. बैरागी के अनुसार शनिवार और मंगलवार के दिन मंदिर में झाडऩी डलवाने वालों की संख्या इतनी अधिक होती है कि लाइन लगवाना पड़ती है।
चरक अस्पताल में बच्चों के वार्ड की क्षमता 85 बेड की, भर्ती 125
सरकारी रिकार्ड : 1 से 13 सितंबर तक डेंगू के 36 टेस्ट 12 पॉजिटिव मिलें
एक ओर बीमार लोग और उनके परिजन भगवान की शरण में पहुंचकर झड़वाने के साथ ताबिज बनवा रहे हैं वहीं दूसरी ओर शहर के शिशु रोग के सबसे बड़े चरक अस्पताल में वायरल, डेंगू व अन्य बीमारियों से ग्रसित बच्चों की संख्या क्षमता से डेढ़ गुना अधिक हो गई है। हालात यह हैं कि चरक अस्पताल के तीन वार्डों में 85 बच्चों को भर्ती करने की क्षमता है जिनमें अभी 125 बच्चे उपचार करा रहे हैं।
चरक अस्पताल के शिशु वार्डों में प्रवेश करते ही वायरल और डेंगू की भयावहता का पता चलता है। माता-पिता पलंग पर बैठकर गोदी में बच्चों को लेकर उपचार करवा रहे हैं। अस्पताल के अधिकारियों ने बताया कि शिशुओं के कुल 3 जनरल वार्डों में 85 बेड हैं जिनमें अभी 125 बच्चों को भर्ती कर उपचार दिया जा रहा है। खास बात यह कि रात में 26 बच्चे डिस्चार्ज हुए और इसी अवधि में 40 बच्चों को भर्ती भी किया गया है। गंभीर बीमार बच्चों को पीआईसीयू में भर्ती कर उपचार दिया जाता है। यहां बेड की संख्या 15 है लेकिन 22 बच्चों को यहां उपचार दिया जा रहा है। दवाओं की कोई कमी नहीं है, लेकिन स्टाफ सीमित होने के कारण अतिरिक्त ड्यूटी की जा रही है।
36 बच्चें को दिया गया डेंगू का उपचार…
1 सितम्बर से लेकर 13 सितम्बर तक चरक अस्पताल के शिशु वार्ड में भर्ती बुखार पीडि़त 36 बच्चों की डेंगू जांच कराई गई थी। अस्पताल के रिकार्ड के अनुसार इनमें से 12 बच्चों में डेंगू पाया गया, जबकि 24 बच्चों में डेंगू के लक्षण नहीं मिले। बच्चों का उपचार करने वाले डॉक्टरों ने बताया कि बुखार आने और डेंगू के लक्षण दिखते ही उन्हें डेंगू का उपचार दिया गया था और जारी उपचार के बीच ही ब्लड सेंपल लिये गये इस कारण रिपोर्ट में डेंगू स्पष्ट नहीं हुआ लेकिन सभी 36 बच्चों को डेंगू का ही उपचार दिया गया क्योंकि उनके प्लेटरेट्स कम निकले थे।
इधर जिला अस्पताल में भर्ती मरीजों को बेड भी नहीं मिल रहे…
वायरल फीवर, टायफायड, मलेरिया, सर्दी, खांसी आदि के मरीज बड़ी संख्या में उपचार के लिये जिला चिकित्सालय पहुंच रहे हैं। डॉक्टरों द्वारा उन्हें वार्डों में भर्ती कर उपचार भी दिया जा रहा है, लेकिन प्रतिदिन बढ़ती मरीजों की संख्या और वार्डों में बेड सीमित होने के कारण अनेक लोगों को वार्डों में लगे बेड के नीचे बिस्तर बिछाकर उपचार कराना पड़ रहा है। सुबह महिला वार्ड के कुल 31 बेड के अलावा 20 अतिरिक्त मरीज फर्श पर बिस्तर लगाकर उपचार करा रहे थे वहीं पुरुष वार्ड के कुल 31 बेड के मुकाबले यहां 18 अतिरिक्त मरीज भर्ती थे।














