उज्जैन:माधवनगर हॉस्पिटल में नोडल अधिकारी क्षितिज सिंघल ने स्टॉफ से पूछा-क्या समस्या है यहां पर…?

By AV NEWS

डॉक्टरों ने कहा…ऑक्सीजन लिमिटेड, मरीज अनलिमिटेड

डॉक्टर्स और पेरा मेडिकल स्टॉफ के साथ दवाईयों की भी है यहां कमी डॉक्टर से कोई नहीं पूछता, अधिकारी बनाते हैं भर्ती करने का दबाव 

 

उज्जैन। आज सुबह निगमायुक्त और माधवनगर हॉस्पिटल के नोडल अधिकारी क्षितिज सिंघल ने माधवनगर हॉस्पिटल पहुंचकर पूरे स्टॉफ की बैठक ली। वे पूर्व में इस बैठक की सूचना दे चुके थे। बैठक में उन्होने सभी से पूछा: आप सभी यहां आ रही समस्याओं को बताओ। उनका इतना कहते ही स्टॉफ बिफर गया। सभी ने जो बातें कही,वे इसप्रकार हैं- सर, यहां पर ऑक्सीजन तो लिमिटेड है लेकिन मरीज अन लिमिटेड है। अभी आप बाहर जाकर निरीक्षण कर लें।

हमें मजबूरन 15 प्रतिशत तक ऑक्सीजन का फ्लो रखना पड़ रहा है ताकि सभी तक ऑक्सीजन पहुंच जाए। यही कारण है कि अधिक गंभीर मरीज,जोकि अन्य बीमारियों से भी पीडि़त है,ऑक्सीजन नहीं मिल पाने के कारण……..। मिटिंग में बैठे सूत्रों का दावा है कि इस पर श्री सिंघल ने कहा कि आप ही बताओ,ऑक्सीजन के लिए और क्या कर सकते हैं? डॉ.संजीव कुमरावत ने कहाकि ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर आता है करीब 50 हजार रू. में। हमने तीन दान करवा लिए हैं,तीन की व्यवस्था शाम तक हो जाए तो वह हवा से ऑक्सीजन खीच लेगा। ऐसे में अभी ओपीडी में जो ऑक्सीजन दी जा रही है, वह पाइंट इन पर आ जाएगा तो उपर वार्डो में ऑक्सीजन का सेचुरेशन बढ़ जाएगा। दोनों तरफ बच जाएगी जिंदगी।

तीन डॉक्टर ने कहा कि- आर डी गार्डी मेडिकल कॉलेज में मरीज को लेने का निर्णय डॉ.सुधाकर वैद्य करते हैं। अमलतास में डॉ.मनीष शर्मा करते हैं। यहां पर अधिकारी दबाव बनाकर तय कर लेते हैं कि मरीज को ले लो। डॉक्टर से नहीं पूछा जाता है कि लेना है या नहीं? ऐसे में जो कोरोना या संदिग्ध नहीं है,उसको भी भर्ती करवा दिया जाता है। यह परंपरा तोड़ो। निर्णय लेने का अधिकार डॉक्टर्स पर छोड़ा जाए। इस पर निगमायुक्त चुप हो गए। स्टॉफ ने कहाकि डॉक्टर्स,पेरा मेडिकल स्टॉफ,दवाईयों की कमी है। इस संबंध में चर्चा करने के लिए निगमायुक्त को मोबाइल फोन किया गया,लेकिन उनसे
संपर्क नहीं हो सका।

जब निगमायुक्त बैठक ले रहे थे, उसी दौरान निमनवासा क्षेत्र की एक महिला को अर्ध बेहोशी में लाया गया। परिजन चेनल गेट तक पहुंचे,महिला गिर गई। परिजनों की आवाज पर डॉक्टर आया और उसने कहा,इनकी तो मौत हो गई है। या तो अभी या लाते समय। इधर बेठक में खबर भिजवाई गई कि एक मौत हो गई है बाहर,शव चेनल गेट पर है। किसी ने ध्यान नही दिया। आधे घण्टे तक शव लेकर बैठे परिजन, स्वयं ही वाहन का इंतजाम करके शव ले गए। यह पता नहीं चल पाया कि महिला को कोविड के लक्षण थे या नहीं? बैठक में यह जरूर कहा गया कि रातभर में 5 मौते हो चुकी है। दो शव आयसीयू में बेड पर हैं। दो मरचुरी में है और एक महिला का शव रैपर करने का काम चल रहा है?

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