उज्जैन।उज्जैन दुग्ध संघ में किसी भी प्रोडक्ट प्लांट से बाहर भेजने की पूरी प्रक्रिया है। संघ के प्लांट लाखों का घी गुपचुप तरीके से बाहर निकाने के मामले में संघ के कतिपय अधिकारियों और सुरक्षाकर्मियों की मिलीभगत हैं। घी तैयार पैकिंग का प्लांट में छिपाकर रख मौका मिलते ही बाहर कर दिया जाता था।
उज्जैन दुग्ध संघ में वित्तीय वर्ष अप्रैल 2020 से मार्च 2021 में संघ से करीब 30 लाख का घी गायब होने के मामले में प्रारंभिक पडताल में संघ के अधिकारियों और सुरक्षाकर्मियों की लिप्तता उजागर हुई हैं। सूत्रों के मुताबिक घी के 15 और 5 किलो के पैकेट तैयार होने के बाद इसकी आवश्यक प्रोसेस पूरी होने पर कुछ पैकेट निकालकर प्लांट में ऐसी जगह छिपाकर रख दिए जाते थे,जहां किसी की नजर नहीं पडे।
मौका मिलते ही घी के इन पैकेट को प्लांट से बाहर कर दिया जाता था। संघ से दूध, दही, लस्सी, घी सहित किसी भी प्रोडक्ट के बाहर भेजने की पूरी प्रक्रिया है। इसका पालन करते हुए प्रोडक्ट की हेराफेरी करना मुश्किल है। केवल घी की हेराफेरी होने के संबंध में अधिकारियों का मानना है कि दूध, दही, लस्सी सहित अन्य प्रोडक्ट को खुले में रखना संभव नहीं हैं। इनके लिए कोल्ड स्टोरेज जरुरी हैं। घी के लिए ऐसी बाध्यता नहीं है और घी संघ के अन्य प्रोडक्ट महंगा भी हैं। इस स्थिति को ध्यान में रखकर घी को ही टारगेट किया गया हैं।
तात्कालीन सीईओ को नोटिस…सूत्रों का कहना है कि संघ से घी गायब होने की यह घटना के वक्त उज्जैन दुग्ध संघ के सीईओ बीके साहू थे। घी गायब होने में साहू की भूमिका नहीं हो,पर संस्थान के प्रमुख होने के नाते निगरानी की जिम्मेदार तो बनती हैं। इस आधार पर संघ तात्कालीन सीईओ साहू को नोटिस जारी किया गया हैं। उज्जैन दुग्ध संघ सीईओ डीपी सिंह के अनुसार का कहना है कि इस मामले में भोपाल स्तर से जांच जारी हैं। ऐसे में उनका कुछ भी बोलना उचित नहीं हैं। आगे जांच के संबंध में शासन से मिल रहे निर्देशों का पालन होगा।