उज्जैन : नगर निगम अध्यक्ष का फैसला रायशुमारी से होगा CM और प्रदेश अध्यक्ष की लगेगी आखिरी मुहर

पर्यवेक्षक उज्जैन पहुंचे, दो दिन रहेंगे…
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उज्जैन। मतगणना के 19 दिन बाद 6 अगस्त को निगम का पहला सम्मेलन होगा। इसी दिन नगर निगम अध्यक्ष और अपील समिति का चुनाव भी होगा। नगर निगम में भाजपा का पूर्ण बहुमत है और अध्यक्ष के लिए किसी भी जोड़तोड़ की आवश्यकता नहीं है,लेकिन पार्टी में अध्यक्ष पद के लिए दावेदारों की संख्या अधिक होने के कारण मशक्कत और खींचतान की स्थिति बनी हुई है।
नगर निगम अध्यक्ष के उम्मीदवार का फैसला प्रदेश भाजपा संगठन द्वारा नियुक्ति पर्यवेक्षक की रायशुमारी के बाद होगा। इसके बाद नाम पर सीएम-प्रदेश अध्यक्ष की आखिरी मुहर लगेगी। पार्टी द्वारा सतना के वरिष्ठ नेता अरविंद तिवारी को पर्यवेक्षक बनाया गया है। वे उज्जैन आ चुके है और आकर पार्षदों से अलग-अलग चर्चा कर वरिष्ठ नेताओं से रायशुमारी करेंगी। इसके बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पार्टी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की आखिरी मुहर लगेगी।एमआईसी यानी मेयर इन कौंसिल में सभी छह विधानसभाओं से जीते वरिष्ठ पार्षदों को जगह मिलेगी।
सामान्य या अन्य वर्ग को मिल सकता है मौका
महापौर अजा वर्ग से है। सांसद आरक्षित वर्ग और जिले में अन्य पिछड़ा वर्ग के विधायक अधिक है। ऐसे में अब पार्टी की समान्य वर्ग को प्रमुख पद देने पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। ऐसे में अध्यक्ष का पद सामान्य वर्ग को दिया जा सकता है। इनमें भी सीनियर पार्षद को मौका मिल सकता है। फिलहाल इसमें पार्षद पार्षद आगे हैं। इनके लिए सामाजिक स्तर पर भी लॉबिंग की जा रही है।इधर भाजपा सूत्रों की मानें तो एमआईसी में दोनों विधानसभा से पांच-पांच सीनियर पार्षद को मौका दिया जाएगा। वरिष्ठ नेताओं के समर्थक सीनियर पार्षद भी एमआईसी में लिए जा सकते हैं।
कई सीनियर पार्षद कर रहे दौड़-भाग
महापौर के बाद सबसे महत्वपूर्ण मानी जाने वाली निगम अध्यक्ष की कुर्सी को लेकर कई सीनियर पार्षद चुनाव जीतने के बाद से ही दौड़-भाग कर रहे हैं। इस दौड़ में कई नाम भी चर्चा में है। इसके चलते दावेदार नेताओं के यहां चक्कर लगा रहे हैं। पर्यवेक्षक की रायशुमारी के बाद निगम अध्यक्ष के नाम पर फैसला होगा। कुछ दिन में नाम फाइनल हो जाएगा। पार्टी सूत्रों के अनुसार नगर निगम अध्यक्ष पद के लिए आधा दर्जन से अधिक पार्षद होड़ में बने हुए हैं। वहीं एमआईसी में स्थान पाने की ललक रखने वालों की संख्या भी तकरीबन 15 हैं। बता दें कि नगर निगम में 54 में से भाजपा के 37 पार्षद है और सत्तारूढ़ दल होने के कारण सभी को उपकृत किए जाने की स्थिति हैं।