कविता :लॉकडाउन आभार तुम्हारा

लॉकडाउन, शुक्रिया तुम्हारा
संवार दिया बचपन हमारा।
कुछ नया सीखने की इच्छा
क्षमता दिलाई तुमने
सच कहती हूँ, बहुत
कुछ नया सिखा दिया तुमने
बंद की इन घडिय़ों में
क्या-क्या नहीं किया
गेंहू बीना, बर्तन धोए
सच कहती हूं मुझे
और भी फिट बना दिया तुमने
दोस्तों के आते फोन
कहते, बोर नहीं होती तू
पर कैसे बताऊं कुछ सीखने
में इतनी खो गई, सच कहती हूं
कुछ नया सीखने के काबिल बना दिया तुमने।
रामायण, महाभारत, श्रीकृष्णा, विष्णुपुराण देख लिए
सच कहती हूं
अपने धर्म से परिचय
करा दिया तुमने।
हिंदी, मराठी, अंग्रेजी
आती थी, सच कहती हूं
इन खाली घडिय़ों में बेसिक
फ्रेंच भी सिखा दिया तुमने।
पहली बार कलम चलाई है
वह भी लॉकडाउन में
सच कहती हूं कविता
लिखना सिखा दिया तुमने।।
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समृद्धि काले, बुरहानपुर