Advertisement

कार्तिक मेले में कुल 559 दुकानों में से आधी की नीलामी बोली ही नहीं लगी…

फूड जोन, छोटे-बड़े झूले और बची दुकानों के लिये फिर से टेंडर निकाले

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

Advertisement

अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन शिप्रा नदी के किनारे प्रतिवर्ष लगने वाले परंपरागत कार्तिक मेले में इस वर्ष नगर निगम द्वारा बनाई गई अस्थायी कुल दुकानों में से व्यापारियों ने आधी से अधिक दुकानों की बोली तक नहीं लगाई। अब नगर निगम द्वारा बची हुई दुकानों और छोटे बड़े झूले, फूड जोन के लिये फिर से टेंडर निकाले हैं।

कार्तिक पूर्णिमा से शुरू होने वाला मेला अभी तक शुरू नहीं हो पाया है। नगर निगम द्वारा आचार संहिता का हवाला देकर मेला शुरू नहीं किया और बाद में ऑनलाइन टेंडर के चक्कर में व्यापारी उलझ गये। अस्थायी दुकानों के निर्माण का कार्य अभी चल ही रहा है वहीं पहली बार बुलाये गये ई टेंडर में पद््मिनी श्रृंगार बाजार सहित कुल 559 दुकानों के टेंडर होना थे। मेले में प्रतिवर्ष दुकान लगाने वाले व्यापारियों ने कुल 179 दुकानों के लिये बोली लगाई। इन दुकानों को नगर निगम द्वारा व्यापारियों को आवंटित करने दिया गया। यही स्थिति छोटे-बड़े झूलों की भी रही। मेले में कुल 22 बड़े झूलों के लिये स्थान आरक्षित किया गया था जिनमें से 18 झूलों की बोली लगी। छोटे कुल 15 झूले लगना थे जिनमें मात्र 10 लोगों ने बोली लगाई। वहीं फूड जोन में कुल 27 दुकानें लगना थीं जिनमें अभी दो दुकानें खाली हैं।

Advertisement

री टेंडर से भी कमाई की उम्मीद

नगर निगम द्वारा अब तक मेले की अस्थायी दुकानों, छोटे बड़े झूलों और फूड जोन की दुकानों से करीब पौने दो करोड़ रुपये की कमाई की है। शेष रही दुकानों का री टेंडर से अफसरों को और कमाई की उम्मीद है, मेले में दुकानों का काम देख रहे राजस्व विभाग के लिपिक धीरज श्रीवास्तव ने बताया कि री टेंडर के बाद नगर निगम को शेष रही दुकानों से अच्छी आमदनी हो सकती है, बशर्ते व्यापारियों द्वारा निर्धारित मूल्य से अधिक की बोली लगाई जाये।

Advertisement

व्यापारियों की रूचि इसमें कम

नगर निगम द्वारा मेले में शेष रही दुकानों, झूलों के रिक्त स्थान के लिये री टेंडर आमंत्रित किये गये हैं जो 7 दिसंबर को ओपन किये जाएंगे। इस दौरान मेला प्रारंभ करने की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है, लेकिन मेले में दुकानें लगाने आये व्यापारियों का कहना है कि जो लोग प्रतिवर्ष परंपरागत रूप से कार्तिक मेले में दुकानें लगाते हैं उन्होंने पहली बार में ही ऑनलाइन दुकानें ले ली हैं अब खाली दुकानें लेने में व्यापारियों की रूचि नहीं है और मेला भी शुरू होने वाला है ऐसे में उक्त दुकानें खाली ही रह जाएंगी।

Related Articles