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घुंघट में परीक्षा दी असाक्षर महिलाओं ने साक्षर बनने के लिए…

अक्षरविश्व न्यूज . उज्जैन:रविवार को पूरे जिले में नवसाक्षर महिला-पुरूषों ने साक्षरता प्राप्त करने के लिए परीक्षा दी। ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं घुंघट में पहुंची और तीन घण्टे का पर्चा हल किया। अब सभी को परिणाम का इंतजार है।

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केंद्र सरकार के नवभारत साक्षरता मिशन के तहत रविवार को 15 वर्ष आयु से अधिक जिलेभर के 30 हजार नवसाक्षर महिला-पुरूषों ने साक्षरता परीक्षा दी।

इनके लिए जिलेभर में 1,306 परीक्षा केंद्र शासकीय प्राथमिक/माध्यमिक/उमावि को बनाया गया। इन स्कूलों के स्टॉफ ने प्रात: 10 से शाम 5 बजे के बीच परीक्षा ली। इस समय में असाक्षर परीक्षार्थियों को किसी भी समय आने की छूट थी,ताकि वे अपनी सुविधा से आकर 3 घण्टे का पर्चा हल कर सके। परीक्षा के लिए केंद्राध्यक्ष बनाए गए,जिन्होने पूरे समय परीक्षा की मानीटरिंग की। सोमवार से उन्ही परीक्षा केंद्रों पर पदस्थ शिक्षकों के स्टॉफ ने मूल्यांकन कार्य किया। मूल्यांक कार्य पूर्ण होने पर परिणाम घोषित किए जाएंगे। उत्तीर्ण परीक्षार्थियों को प्रमाण पत्र भी वितरित किए जाएंगे।

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ऐसी रही परीक्षा…

परीक्षा में गाय पर निबंध लिखने को कहा गया। जिला साक्षरता सह समन्वयक रमेशकुमार जैन के अनुसार नव साक्षरों ने बचपन से गाय देखी तथा उसके बारे में उन्हे तमाम जानकारी है। लेकिन परीक्षार्थी के रूप में चुनौती थी कि जो उन्होने देखा,समझा, उसे लिखना है।

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इसी के चलते गाय पर निबंध लिखते समय उन्हे गाय की विशेषता लिखन था,जैसे-गाय के चार पैर होते हैं, दो आंखे -दो कान-दो सिंग होते हैं,गाय की एक पूंछ होती है। गाय दूध देती है। गाय हमारी माता है…आदि। मकान का चित्र प्रश्नपत्र में था,जिसे देखकर वे बता सकते हैं कि यह मकान है। लेकिन मकान कैसे लिखा जाता है और पढ़ा जाता है,यह अक्षर ज्ञान उन्हे करवाया गया था,इसी की परीक्षा ली गई ताकि पता चल सके कि वे अक्षरज्ञान में निपुण हुए या नहीं? इसी प्रकार जोडऩा घटाना,साधारण गुणा करना,गिनती एवं पहाड़े पूछे गए थे।

जिला परियोजना समन्वयक अशोक त्रिपाठी के अनुसार भारत सरकार द्वारा नव साक्षरता अभियान 1 अप्रेल,22 से प्रारंभ किया गया है,जो 2027 तक चलेगा।

इस दौरान शासकीय स्कूलों के शिक्षकों को सतत असाक्षरों को ढूंढना एवं अपने समय से अतिरिक्त समय में आवश्यक रूप से साक्षर बनाने की जवाबदारी सौपी गई है। इन्ही नव साक्षरों की समय-समय पर परीक्षा ली जाती है, ताकि परिणामों से स्पष्ट हो सके कि जिले में साक्षरता की स्थिति कैसी है और कितने लोग अभी भी बचे हुए हैं?

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