मोक्ष के बाद मंदिरों में होगा शुद्धिकरण और पूजन-आरती
ग्रहण का प्रारंभ दोपहर 2.38 बजे, मध्य की स्थिति 4.29 बजे और मोक्ष शाम 6.19 बजे होगा
उज्जैन।आज कार्तिक पूर्णिमा पर वर्ष का आखिरी चंद्रग्रहण है। इसका सूतककाल सुबह से शुरू हो गया। सूतक काल के दौरान भगवान का स्पर्श वर्जित रहता है। इस कारण शहर के मंदिरों के पट बंद हैं या बाहर से दर्शन किए जा रहे हैं। शाम को ग्रहण मोक्ष के बाद मंदिरों का शुद्धिकरण होगा और पूजन-आरती की जाएगी। पंद्रह दिन पूर्व सूर्य ग्रहण लगा था।
शासकीय जीवाजी वेधशाला के अधीक्षक डॉ. राजेंद्रप्रकाश गुप्त के अनुसार 8 नवंबर को चंद्र ग्रहण होगा। उज्जैन में चंद्रोदय शाम 5.43 बजे होने के कारण शाम 6.19 बजे तक केवल 36 मिनट ही आंशिक चंद्र ग्रहण दृश्य होगा। वेधशाला में भी ग्रहण को देखने की व्यवस्था रहेगी।
चंद्रग्रहण का सूतक (वेधकाल) का समय सुबह 8:30 बजे से शुरू हो गया और सूतक काल शाम 6:19 बजे तक रहेगा। मान्यता है कि सूर्य ग्रहण का सूतक 4 प्रहर और चंद्रग्रहण का सूतक ३ प्रहर का माना जाता है। उदित काल में ही चंद्रमा पर ग्रहण लगा रहेगा। ग्रहण का समय दोपहर 2:40 से शुरू होगा और मोक्ष शाम 6:19 बजे होगा। इसके बाद मंदिरों में शुद्धिकरण होगा। भगवान की आरती के बाद पट खुलेंगे और दर्शन आरंभ होंगे।
कहीं मंदिर के पट बंद, कहीं बाहर से हो रहे दर्शनग्रहणकाल दोपहर से शाम तक रहेगा। इससे पूर्व सूतक सुबह से ही शुरू हो गया है। चामुंडा माता मंदिर के पट बंद कर दिए गए हैं। सांदीपनि आश्रम में पट खुले है लेकिन मंदिर में प्रवेश प्रतिबंंधित किया गया है।
इस कारण श्रद्धालु बाहर से ही दर्शन कर रहे हैं। पुजारी पं. रूपम व्यास के अनुसार मोक्ष के बाद एक घंटे के लिए पट बंद कर मंदिर का शुद्धिकरण किया जाएगा। इसके बाद दर्शन शुरू होंगे। काल भैरव मंदिर मंदिर में लंबी कतार लगी है लेकिन यहां पर भी श्रद्धालु बाहर से ही दर्शन कर रहे हैं। इधर सिद्धवट पर शिप्रा तट पर तर्पण कार्य भी चल रहा था। इसके अतिरिक्त अन्य देव स्थानों पर सूतक काल मान्यता के अनुसार जाप चलते रहे।
चंद्र ग्रहण की अवधि 4 घण्टे 19 मिनट…
खगोलिय गतिविविधियों के कारण एक महीने में दूसरा ग्रहण होगा। 8 नवंबर को पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार ग्रहण से सूर्य और चंद्रमा प्रभावित होंगे। यह एक अनूठा चंद्रग्रहण होगा। बृहस्पति की भाग्य दृष्टि भी उन पर नहीं होगी। शनि मकर राशि में रहेगा जबकि बृहस्पति अपनी मूल राशि मीन राशि में वक्री गति में रहेगा। मध्य की स्थिति में चन्द्रमा का 100 प्रतिशत भाग पृथ्वी के छाया क्षेत्र में हो जाएगा।
पूर्ण चंद्रग्रहण की स्थिति में चन्द्रमा पृथ्वी के छाया क्षेत्र में होने के कारण मध्यम लाल वर्ण का हो जाता है। ग्रहण की अवधि 4 घण्टे 19 मिनट तक रहेगी। ग्रहण उत्तरी एवं दक्षिणी अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, एशिया, उत्तरी प्रशांत महासागर, हिंद्र महासागर में दिखाई होगा। भारत के पूर्वी भाग (कोलकाता, कोहिमा, पटना, पुरी, रांची, इम्फाल आदि) में चन्द्रोदय पूर्णता समय शाम 5.12 बजे से पूर्व होने कारण यहां पूर्ण चंद्रग्रहण देख सकेंगे। शेष सम्पूर्ण भारत में आंशिक चन्द्रग्रहण होगा। अगला पूर्ण चंद्रग्रहण 14 मार्च 2025 को लगेगा।
मंगलनाथ, अंगारेश्वर मंदिर में भात पूजा बंद
मंगलनाथ और अंगारेश्वर मंदिर में प्रवेश-पूजन प्रतिबंधित है। पूर्णिमा पर सुबह 5.30 बजे से चंद्रग्रहण का सूतक शाम 6.19 बजे तक है। मंगलनाथ व अंगारेश्वर मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश, भातपूजा और अन्य सभी पूजन नहीं हो रहे हैं। महाकाल मंदिर में प्रवेश-दर्शन जारी है। वेधकाल के दौरान गर्भगृह में प्रवेश बंद रहेगा।
ग्रहण समाप्ति के बाद मंदिर का शुद्धिकरण होगा। इसके बाद आरती-पूजन किया जाएगा। ग्रहण मोक्ष के बाद शहर के कई मंदिरों में शुद्धिकरण और विशेष पूजन की तैयारी की गई है। चूंकि मंगलवार को कार्तिक मास की पूर्णिमा भी है ऐसे में ग्रहण और पूर्णिमा के दान पूण्य का भी महत्व होगा। माना जा रहा है कि मंदिरों में सांध्य आरती के पश्चात भक्तों द्वारा दान पुण्य किया जाएगा।
मोक्षदायिनी शिप्रा में स्नान, घाटों पर लगी भीड़
उज्जैन। आज चंद्रग्रहण और कार्तिक पूर्णिमा भी है। हजारों श्रद्धालु सिद्धवट बड़ी संख्या में पहुंचे हैं। यहां शिप्रा नदी में स्नान कर रहे हैं। मंदिर में बाहर से दर्शन व्यवस्था है।
वहीं रामघाट, दत्त अखाड़ा घाट पर भी स्नान किया जा रहा है। आज चद्र्रग्रहण को मोक्ष शाम 6:19 बजे होगा। मोक्ष के बाद भी हजारों श्रद्धालु शिप्रा में स्नान करेंगे। ग्रामीण अंचल से भी शिप्रा स्नान के लिए श्रद्धालु आ रहे हैं। सोमवार की शाम को श्रद्धालुओं ने शिप्रा नदी में दीपदान भी किया।